भेदज्ञान थई जाय छे अने अनादिनो भ्रमणारोग मटी जाय छे. आ वात अपूर्व समजवा जेवी छे, आ समजीने
अंतरमां तेनो यथार्थ निर्णय करवो ते सम्यग्दर्शननुं कारण छे. खरुं तो आ ज करवा जेवुं छे, आ सिवाय बीजुं
तो बधुं थोथां छे, तेमां क्यांय आत्मानुं हित नथी.
करे छे एटले के निमित्तना–रागना–पर्यायना के भेदना आश्रयथी कल्याण माने छे–तेओ सम्यग्द्रष्टि नथी, केमके
तेओ आत्माना अखंड परिपूर्ण स्वरूपने नथी देखता पण क्षणिक अंशने ज देखे छे तेथी तेओ मिथ्याद्रष्टि छे.
ज्ञानीने शोक थई जाय ने आंखमां चोधार आंसुए रोतो होय, छतां ते वखतेय तेने द्रष्टिमां भूल नथी, मात्र
होय, छतां तेने द्रष्टिमां भूल छे, रागना आश्रयथी लाभ मानतो होवाथी तेने ऊंधी द्रष्टिनो अनंतो दोष छे. आ
अंतरनी द्रष्टिना माप बहारथी नीकळे तेवा नथी सम्यग्द्रष्टिने पोतानी भूमिकाना प्रमाणमां आर्त्त–रौद्र ध्यानना
परिणाम पण क्यारेक थई जाय, ते रोतो होय के लडाई वगेरे क्रियामां ऊभो होय, छतां ते वखतेय द्रष्टिमांथी
पोताना परमार्थ स्वभावनुं अवलंबन छूटयुं नथी एटले तेने द्रष्टिनो दोष नथी–श्रद्धामां भूल नथी, तेथी
मिथ्यात्वादि ४१ कर्मप्रकृतिओनुं बंधन तो तेने थतुं ज नथी. ने अज्ञानीने तो शुभपरिणाम वखतेय द्रष्टिना दोषने
लीधे मिथ्यात्वादि कर्मप्रकृतिनुं बंधन पण थया ज करे छे. धर्मीने जे राग–द्वेष थई जाय छे ते परना कारणे थता
नथी, तेमज स्वभावनी द्रष्टि छूटीने पण थता नथी, फक्त चारित्रना पुरुषार्थमां मचक खाई जाय छे. अज्ञानीने
एम लागे छे के बहारना प्रतिकूळ प्रसंगने लीधे ज्ञानीना परिणाम बगडया, पण ज्ञानीनी अंर्तद्रष्टिनी तेने खबर
तो अंतर्दष्टि वडे पोताना भूतार्थ स्वभावने ते शुभाशुभ परिणामथी जुदो ने जुदो अनुभवे छे. बस! अंतरमां
चिदानंद भूतार्थस्वभावनो आश्रय न छूटवो तेनुं नाम सम्यग्दर्शन छे. एक ने एक प्रसंगमां अज्ञानी शुभ–
परिणामथी शांति राखे ने ते ज वखते ज्ञानीने जराक खेदना परिणाम थई जाय, छतां ज्ञानीने तो ते वखते
अंतरमां भूतार्थस्वभावनी द्रष्टिथी सम्यक्त्वनुं परिणमन थई रह्युं छे, ने अज्ञानी तो भूतार्थस्वभावनुं भान पण
नथी तेथी तेने मिथ्यात्वनुं परिणमन थाय छे.
संसारमां रखडयो. हवे स्वसन्मुख थईने तारा भूतार्थ स्वभावनो महिमा देख अने परना संगनी बुद्धि छोडीने
तेनो संग कर, तो ते भूतार्थ स्वभावना संगथी तारुं भवभ्रमण टळी जशे. जड कर्मे जीवने रखडाव्यो नथी, परंतु
जीवे पोते पोताना भूतार्थस्वभावनो आश्रय न कर्यो तेथी ज ते रखडयो छे एटले के पोते पोतानी भूलथी ज
रखडयो छे. पूजामां पण आवे छे के–