Atmadharma magazine - Ank 127
(Year 11 - Vir Nirvana Samvat 2480, A.D. 1954)
(Devanagari transliteration).

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: वैशाख : २०१० : आत्मधर्म–१२७ : १२७ :
मोरबी शहेरमां
पंचकल्याणक–प्रतिष्ठा–महोत्सव
जिनेन्द्र शासनना परम प्रभावक पू. गुरुदेवना पुनित प्रतापे सौराष्ट्रना भक्तजनोने
ठेर–ठेर जिनेन्द्र भगवंतोनो भेटो थई रह्यो छे, अने भगवानना पंचकल्याणकना अद्भुत
महोत्सवोनुं महान सौभाग्य प्राप्त थाय छे. जिनेन्द्र भगवाननुं यथार्थ स्वरूप बतावीने तेमज
जिनेन्द्रदेवे कहेला धर्मनुं स्वरूप समजावीने पू. गुरुदेव भक्तजनो उपर परम उपकार करी रह्या
छे.
परम कृपाळु गुरुदेवना प्रतापे मोरबी शहेरमां भव्य जिनमंदिर तैयार थयुं अने तेमां
महावीरादि भगवंतोनी प्रतिष्ठानो भव्य पंच–कल्याणक–महोत्सव पू. गुरुदेवनी मंगलकारी
छायामां उजवायो.
फागण वद १०ना मंगलदिने महावीरनगर (प्रतिष्ठा–मंडप)मां श्री जिनेन्द्र भगवाननी
पधरामणी थई तथा नांदी विधान अने झंडारोपण थयुं हतुं. तेमज वीस विहरमान तीर्थंकरोनुं
पूजनविधान शरू थयुं हतुं. फागण वद ११ ना रोज सवारमां जलयात्रा विधि थई हती.
जलयात्राना जुलूसमां पू. बेनश्रीबेन सुवर्णकलशो लईने चालतां हतां ते द्रश्य घणुं शोभतुं
हतुं. सांजे वीस विहरमान तीर्थंकरोनुं पूजन पूर्ण थयुं हतुं, अने जिनेन्द्रदेवनो अभिषेक थयो
हतो.
फागण वद १२ ना रोज परम पूज्य गुरुदेव मोरबी पधार्या हता त्यारे मुमुक्षु मंडळे
तेमज शहेरना भक्तजनोए अत्यंत उल्लासथी पू. गुरुदेवनुं भव्य स्वागत कर्युं हतुं. पछी पू.
गुरुदेव समक्ष आचार्य–अनुज्ञाविधि थई हती; तेमां मोरबीना मुमुक्षु संघे परम पूज्य
गुरुदेवनी स्तुति करीने, जिनेन्द्र भगवाननो पंचकल्याणक–प्रतिष्ठा महोत्सव माटे आज्ञा मागी
हती. पू. गुरुदेवे ते माटे आज्ञा आपीने मांगळिक संभळाव्युं हतुं. तरत ज ईन्द्रप्रतिष्ठा थई
हती, अने त्यारबाद पू. गुरुदेवना स्वागतनुं तेमज ईन्द्र–प्रतिष्ठानुं संयुक्त जुलूस शहेरमां फर्युं
हतुं. शहेरमां फरीने महावीरनगरमां आव्या बाद पू. गुरुदेवे मांगळिक संभळावीने तेना
अपूर्व भावो समजाव्या हता. बपोरे पू. गुरुदेवनुं प्रवचन थयुं हतुं. हजारो मुमुक्षुओनी
भव्यसभा पू. गुरुदेवनी अध्यात्मवाणी सांभळीने स्तब्ध थई जती हती.
रात्रे, पंचकल्याणक–महोत्सवना प्रारंभमां सौथी प्रथम मंगलाचरण रूपे आठ कुमारिका
बहेनोए विधिनायक श्री महावीर भगवाननी स्तुति करी हती, त्यारबाद भगवानना गर्भ
कल्याणकनी पूर्वक्रियानुं द्रश्य थयुं हतुं. तेमां प्रथम, महावीर भगवाननो जीव पूर्व भवे
पुष्पोत्तर विमानमां बिराजे छे ने त्यां तेनुं आयुष्य छ महिना बाकी रह्युं छे ते भाव
बताववामां आव्यो हतो. त्यारबाद सौधर्म स्वर्गनी सभानो देखाव थयो हतो, तेमां सौधर्म
ईन्द्र अवधिज्ञानथी जाणे छे के छ महिना बाद महावीर भगवान त्रिशलामातानी कूंखे
आववाना छे; तेथी कुंडलपुरीने शणगारवानी तेमज सिद्धार्थराजाने त्यां पंदर महिना सुधी
रत्नवृष्टि करवानी कुबेरने आज्ञा आपे छे, तेमज