प्रभाव फेलाय छे, ने आखी प्रजा जैनधर्म अंगीकार करे छे. एकवार महावीर भगवान
राजगृहीमां पधारे छे, त्यारे अभयकुमार अने चेलणाराणी वैराग्य भावना भावता
भगवानना समवसरणमां जाय छे....ए संवाद पूरो थाय छे.
करवा आव्या हता. त्यां गुरुदेवनी भावभीनी स्तुति करीने, तेओश्रीनो परम उपकार
व्यक्त कर्यो हतो. बपोरे प्रवचन पछी जिनमंदिरमां भक्ति थई हती, तेमां पू.
गुरुदेवश्रीए महावीर प्रभुनुं स्तवन गवडावीने बहु उल्लासभरी भक्तिनी शरूआत करी
हती. ते दिवसे गुरुदेवनी भक्तिनी धून जोईने बधाने घणो हर्ष थयो हतो. रात्रे
मानस्तंभ–महोत्सवनी फिल्मनो बाकीनो भाग बताववामां आव्यो हतो.
उजवायो. परम कृपाळु पू. गुरुदेवना आवा अपार उपकारोनुं वर्णन थई शके तेम नथी.
सौराष्ट्रना लोकोने दि. जैन धर्म शुं छे तेनी पण थोडा वर्षो पहेलांं खबर न हती, तेने
बदले पू. गुरुदेवना अलौकिक धर्म–प्रभावथी आजे सौराष्ट्रमां ठेर ठेर दि. जैनधर्मना ऊंडा
मूळ रोपाया छे, अने जैनशासननी मंगल–प्रभावना दिन दिन वृद्धिगत थई रही छे.
परम प्रतापी गुरुदेवनो महान प्रभावना उदय जयवंत वर्तो के जेना प्रतापे सौराष्ट्रना
भक्तजनोने ठेर ठेर जिनेन्द्र भगवाननो भेटो थाय छे ने आखुं सौराष्ट्र तीर्थधाम बनी
गयुं छे. जिनेन्द्र भगवाननी प्रतिष्ठानो पंचकल्याणक–महोत्सव उल्लासपूर्वक कराववा माटे
मोरबी दि. जैन संघना मुमुक्षु भाईओने अनेक धन्यवाद घटे छे.
वांकानेर तरफ विहार कर्यो हतो. आ प्रतिष्ठा–महोत्सवमां विधि कराववा माटे इंदोरना पंडित श्री
नाथुलालजी शास्त्री आव्या हता अने तेमणे सुंदर रीते बधी विधि करावी हती, ते माटे तेमनो
आभार मानवामां आवे छे.