स्वभावने पकडवानो प्रयत्न जीवे पूर्वे कदी कर्यो नथी, अने आवा स्वभावना अंर्तभान वगर
बीजुं गमे तेटलुं करे तोपण भवनो अंत आवे तेम नथी. आत्मानो ज्ञानस्वभाव शुं छे तेना
सम्यक्भान वगर खरेखर जैनपणुं होय नहि. जैन एटले जीतनार; कोने जीतवुं छे? कोई
परने जीतवानुं नथी; पण ‘शरीरनी क्रिया हुं करुं ने पुण्य–पाप जेटलो हुं छुं’ एवी जे
अनादिनी मिथ्याबुद्धि छे तेने, आत्माना ज्ञायकस्वभावनी यथार्थ ओळखाण वडे जीतवी,
एटले के सम्यक् भान वडे अनादिना मिथ्यात्वनो नाश करवो तेनुं नाम जैनपणुं छे. श्रावकपणुं
अने मुनिपणुं ते तो हजी आथी पण घणी ऊंची अलौकिक आत्मदशा छे. आत्मानुं सम्यक्
भान थतां भगवान आत्मानी प्रसिद्धि थई, अंतरना चैतन्य–निधान देख्यां, एनुं नाम
सम्यग्दर्शन छे, अने त्यांथी ज धर्मनी शरूआत थाय छे.
उमंगथी लेता हता. चैत्र वद अगियारसना रोज वढवाण शहेरथी विहार करीने पू. गुरुदेव
जोरावरनगर पधार्या हता.
अमासथी वैशाख सुद त्रीज सुधी जिनमंदिरमां शांतिनाथ वगेरे भगवंतोनी वेदी–प्रतिष्ठानो
उत्सव, तेमज परम पूज्य गुरुदेवनो ६५ मो जन्मोत्सव ऊजवायो हतो. सुरेन्द्रनगरनुं
जिनमंदिर सुंदर अने रळियामणुं छे; ए उपरांत जिनमंदिरना चोकमां ज जुदुं स्वाध्याय मंदिर
छे. वेदीप्रतिष्ठानो मंडप स्वाध्याय मंदिरमां हतो. चैत्र वद अमासना रोज रथयात्रा काढीने श्री
जिनेन्द्रभगवानने वेदी मंडपमां बिराजमान कर्या हता अने झंडारोपण थयुं हतुं; तेमज वेदी–
प्रतिष्ठा माटे आचार्यअनुज्ञा विधि थई तेमां सुरेन्द्रनगरना मुमुक्षु संघे वेदी–प्रतिष्ठा उत्सव
माटे पू. गुरुदेवनी आज्ञा लीधी हती तेम ज गुरुदेवना प्रतापे सुरेन्द्रनगरना आंगणे जिनेन्द्र
भगवाननी प्रतिष्ठानो आवो सुअवसर प्राप्त थयो ते माटे पोतानो उल्लास अने भक्तिभाव
व्यक्त कर्यो हतो; तथा वीस विहरमान भगवंतोनुं पूजन तेमज जिनेन्द्र–अभिषेक थयो हतो,
अने ईन्द्र–प्रतिष्ठा थई हती. वैशाख सुद एकमना रोज जलयात्रा नीकळी हती, तेमज
यागमंडल विधानपूजा थई हती; अने जिनमंदिर–वेदी–कलश तथा ध्वजनी शुद्धि थई हती, तेमां
मुख्य विधि पू. बेनश्रीबेनना पवित्र हस्ते थई हती. वैशाख सुद बीजना शुभ दिने परम
पूज्य सद्गुरुदेवनो पांसठमो जन्मोत्सव ऊजवायो हतो; सवारे पू. गुरुदेवना प्रवचन बाद
भाईश्री हिंमतलाल जेठालाल शाहे टूंक वक्तव्य द्वारा गुरुदेवना जीवनना मुख्य प्रसंगो
जणाव्या हता तेमज सद्गुरुनो महिमा बताव्यो हतो. त्यारबाद, सुरेन्द्रनगरमां पू. गुरुदेवनो
जन्मोत्सव ऊजववानुं सौभाग्य प्राप्त थयुं ते बदल सुरेन्द्रनगरना मुमुक्षु संघनी