जन्मोत्सव निमित्ते ‘६५’ ना मेळवाळी रकमनुं फंड थयुं हतुं; रात्रे बालिकाओए
‘जन्मोत्सवनी वधाई’ संबंधी नानो संवाद कर्यो हतो; तेमज भक्ति थई हती. वैशाख सुद
त्रीजना रोज सवारे परम पूज्य गुरुदेवना मंगल करकमलथी जिनमंदिरमां जिन्द्रभगवंतोनी
प्रतिष्ठा थई, प्रतिष्ठा प्रसंगे सुरेन्द्रनगरना भक्तजनोने घणो उल्लास हतो. सुरेन्द्रनगरना
जिनमंदिरमां मूळनायक तरीके शांतिनाथ भगवान बिराजमान छे, तेमनी आजुबाजुमां
सीमंधर भगवान अने सुमतिनाथ भगवान बिराजमान छे, तेमज श्री महावीर भगवान
बिराजमान छे. जिनमंदिरमां प्रतिष्ठा बाद स्वाध्यायमंदिरमां समयसारजी परमागमनी प्रतिष्ठा
पण परम पू. गुरुदेवना मंगल हस्ते थई हती. त्यारबाद शांतियज्ञ बाद सांजे जिनेन्द्रदेवनी
भव्य रथयात्रा नीकळी हती. हाथी सहित जिनेन्द्रदेव वगेरे अनेक प्रकारे आ रथयात्रा शोभती
हती, अने पू. गुरुदेव पण साथे पधार्या हता. रात्रे बालिकाओए ‘महाराजा श्रेणीक, महाराणी
चेलणा अने अभयकुमार’ नो सुंदर संवाद कर्यो हतो. आ रीते घणा उल्लासपूर्वक भगवाननो
वेदी–प्रतिष्ठा महोत्सव ऊजवायो हतो. आ माटे सुरेन्द्रनगरना मुमुक्षु संघने धन्यवाद घटे छे.
आवी हती. पू. गुरुदेवना प्रवचनोनो लाभ पण लोको घणा उमंगथी लेता हता. वैशाख सुद
चोथना रोज सुरेन्द्रनगरथी विहार करीने लींबडी अने चूडा थईने पू. गुरुदेव राणपुर तरफ
पधार्या हता.
जिनमंदिरमां महावीरादि भगवंतोनी वेदी–प्रतिष्ठानो उत्सव ऊजवायो हतो. अहीं जिनमंदिर
माटेनुं जे विशाळ मकान छे तेमां ज स्वाध्याय मंदिर छे, त्यां वेदी–प्रतिष्ठानी विधि थई हती.
वैशाख सुद ११ ना रोज रथयात्रा काढीने श्री जिनेन्द्रभगवानने वेदी–मंडपमां बिराजमान कर्या
हता अने झंडारोपण थयुं हतुं; तेमज वेदी–प्रतिष्ठा माटे आचार्यअनुज्ञा विधि थई, तेमां
राणपुरना मुमुक्षु संघे वेदी–प्रतिष्ठा उत्सव माटे पू. गुरुदेवनी आज्ञा लीधी हती, तेमज
गुरुदेवना प्रतापे राणपुरना आंगणे जिनेन्द्र भगवाननी प्रतिष्ठानो आवो सुअवसर प्राप्त
थयो ते माटे पोतानो उल्लास अने भक्तिभाव व्यक्त कर्यो हतो; तथा वीस विहरमान
भगवंतोनुं पूजन तेमज जिनेन्द्रअभिषेक थयो हतो; वैशाख सुद १२ ना रोज ईन्द्रप्रतिष्ठा थई
हती तेमज जलयात्रा नीकळी हती अने यागमंडल विधान पूजन थयुं हतुं; अने जिनमंदिर–
वेदी–कलश तथा ध्वजनी शुद्धि थई हती, तेमां मुख्य विधि पूज्य बेनश्रीबेनना पवित्र हस्ते
थई हती. वैशाख सुद तेरसना रोज सवारे परम पूज्य गुरुदेवना मंगल करकमलथी
जिनमंदिरमां जिनेन्द्र भगवंतोनी प्रतिष्ठा थई, प्रतिष्ठा प्रसंगे राणपुरना भक्तजनोने घणो
उल्लास हतो. राणपुरना जिनमंदिरमां मूळनायक तरीके महावीर भगवान बिराजमान छे;
तेमनी आजुबाजुमां सीमंधर भगवान ने आदिनाथ भगवान बिराजमान छे, तेमज श्री
पार्श्वनाथ भगवान बिराजमान छे. आ उपरांत जिन मंदिरमां समयसारजी