Atmadharma magazine - Ank 128
(Year 11 - Vir Nirvana Samvat 2480, A.D. 1954)
(Devanagari transliteration).

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: जेठ : २०१० : आत्मधर्म–१२८ : १६३ :
परमागमनी प्रतिष्ठा पण परम पू. गुरुदेवना मंगल हस्ते थई हती. त्यारबाद शांतियज्ञ बाद सांजे भक्तिपछी
जिनेन्द्रदेवनी भव्य रथयात्रा नीकळी हती. हाथी सहित जिनेन्द्रदेव वगेरे अनेक प्रकारे आ रथयात्रा शोभती
हती, अने पू. गुरुदेव पण साथे पधार्या हता. आ रीते भगवाननो वेदी–प्रतिष्ठा महोत्सव घणा उल्लासपूर्वक
ऊजवायो हतो. आ माटे राणपुरना मुमुक्षु संघने धन्यवाद घटे छे.
राणपुरमां पू. गुरुदेव एकंदर सात दिवस रह्या हता. छेल्ले दिवसे जिनमंदिरमां पू. गुरुदेवे भक्ति
गवडावी हती. पू. गुरुदेवना प्रवचननो लाभ पण लोको घणा उमंगथी लेता हता. वैशाख वद बीजना रोज
राणपुरथी बोटाद तरफ पू. गुरुदेवे विहार कर्यो हतो.
* बोटाद *
वैशाख वद त्रीजना रोज पू. गुरुदेव बोटाद पधार्या, त्यारे भक्त जनोए घणा उल्लासपूर्वक पू. गुरुदेवनुं
स्वागत कर्युं हतुं. अने वैशाख वद ५–६–७ ना त्रण दिवस सुधी जिनमंदिरमां श्रेयांसनाथ वगेरे भगवंतोनी
वेदी–प्रतिष्ठानो उत्सव ऊजवायो हतो. बोटादनुं जिनमंदिर शिखर तेमज घूमट सहित भव्य छे. वेदी–प्रतिष्ठानी
विधि जिनमंदिरमां ज थई हती. वैशाख वद पांचमना रोज रथयात्रा काढीने श्री जिनेन्द्र भगवानने वेदी–
मंडपमां बिराजमान कर्या हता, अने झंडारोपण थयुं हतुं; तेमज वेदी–प्रतिष्ठा माटे आचार्यअनुज्ञा विधि थई,
तेमां बोटादना मुमुक्षुसंघे वेदी–प्रतिष्ठा उत्सव माटे पू. गुरुदेवनी आज्ञा लीधी हती, तेमज गुरुदेवना प्रतापे
बोटादना आंगणे जिनेन्द्र भगवाननी प्रतिष्ठानो आवो सुअवसर प्राप्त थयो ते माटे पोतानो उल्लास अने
भक्तिभाव व्यक्त कर्यो हतो, तेमज वीस विहरमान भगवंतोनुं पूजन तेमज जिनेन्द्र अभिषेक थयो हतो.
वैशाख वद छठ्ठना रोज ईन्द्र–प्रतिष्ठा थई हती तेमज जलयात्रा नीकळी हती, अने यागमंडल विधान पूजन थयुं
हतुं. सांजे जिनमंदिर–वेदी–कलश अने ध्वजनी शुद्धि थई हती, तेमां मुख्यविधि पूज्य बेनश्रीबेनना पवित्र हस्ते
थई हती. वैशाख वद सातमना रोज सवारे परम पूज्य गुरुदेवना मंगल करकमलथी जिनमंदिरमां जिनेन्द्र
भगवंतोनी प्रतिष्ठा थई, प्रतिष्ठा प्रसंगे बोटादना भक्तजनोने घणो उल्लास हतो. बोटादना जिनमंदिरमां
मूळनायक तरीके श्री श्रेयांसनाथ भगवान बिराजमान छे; तेमनी आजुबाजुमां शीतलनाथ भगवान अने
सीमंधर भगवान बिराजमान छे, तेमज श्री शांतिनाथ भगवान अने पार्श्वनाथ भगवान बिराजमान छे.
जिनमंदिरमां समयसारजी परमागमनी प्रतिष्ठा पण पूज्य गुरुदेवना मंगल हस्ते थई हती.
बोटादमां पू. गुरुदेव एकंदर छ दिवस रह्या हता. वैशाख वद आठमना रोज सोनगढमां समयसारजी
परमागमनी पवित्र प्रतिष्ठानो वार्षिकोत्सव हतो ते निमित्ते अहीं समयसारजीनी पूजा थई हती, तेमज पू.
गुरुदेवे भक्ति गवडावी हती. पू. गुरुदेवना प्रवचननो लाभ पण लोको घणा उमंगथी लेता हता. वैशाख वद ९
ना रोज बोटादथी विहार करीने पू. गुरुदेव वींछीया पधार्या छे.
* उमराळा *
वींछीया चार दिवस रोकाईने परम पूज्य गुरुदेव जन्मधाम उमराळा नगरीमां पधारशे. जेठ सुद बीजे
पू. गुरुदेव उमराळा पधारशे. अने त्यां सुद बीज–त्रीज–चोथना रोज “कहानगुरु जन्मधाम”ना उपरना
भागमां जिनमंदिरमां सीमंधर भगवाननी वेदी–प्रतिष्ठानो महोत्सव ऊजवाशे. त्यारबाद जेठ सुद पांचमनो
उत्सव पण त्यां ज थशे. अने जेठ सुद छठ्ठ ने रविवार ता. ६–६–५४ ना रोज उमराळाथी विहार करीने
तीर्थधाम सोनगढमां पधारशे.
लगभग साडाचार मासना आ विहार दरमियान परम प्रभावक कहानगुरुदेवनी मंगलकारी छायामां
अनेक मंगलकार्यो थया छे अने ठेरठेर जैनशासननी घणी महान प्रभावना थई छे. सौथी प्रथम उमराळामां
‘उजमबा स्वाध्याय–गृह’नुं तेमज ‘जन्मस्थान’नुं उद्घाटन, वडीआमां जिनमंदिरनुं उद्घाटन, त्यारबाद
तीर्थधाम गिरनारजीनी संघसहित उल्लासभरी यात्रा, त्यारबाद पोरबंदर–मोरबी–वांकानेर त्रण शहेरोमां
पंचकल्याणक–प्रतिष्ठा, सुरेन्द्रनगरमां पांसठमो जन्मोत्सव, अने वढवाण–सुरेन्द्रनगर–राणपुर–बोटाद तथा
उमराळामां वेदी–प्रतिष्ठा, तेमज बीजा केटलाक गामोमां नूतन जिनमंदिरो माटेनी जाहेरात–आवा आवा अनेक
मंगलकारी प्रसंगो द्वारा जिनेन्द्र शासननी अद्भुत प्रभावना करीने (जेठ सुद छठ्ठना रोज) पू. गुरुदेव सोनगढ
पधारता होवाथी सोनगढमां विशिष्ट भक्तिभावथी परम पूज्य गुरुदेवनुं भव्य स्वागत करवानी भक्तजनोनी
भावना छे. अहो! परम पूज्य गुरुदेवनी परम पावन मंगलछाया आ कळियुगमां कल्पवृक्ष समान शांतिदायक
छे, अने तेओ श्रीनो पवित्र धर्मप्रभाव अनेक सुपात्र जीवोनुं कल्याण करी रह्यो छे; दिनदिन वृद्धिगत थई
रहेलो, पू. गुरुदेवनो परम प्रभाव भव्यजीवोनुं कल्याण करो.