Atmadharma magazine - Ank 128
(Year 11 - Vir Nirvana Samvat 2480, A.D. 1954)
(Devanagari transliteration).

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: जेठ : २०१० : आत्मधर्म–१२८ : १४७ :
वढवाणशहेर, सुरेन्द्रनगर, राणपुर अने बोटादमां
जिनबिंब वेदी–प्रतिष्ठा महोत्सव
परम पूज्य सद्गुरुदेव जिनेन्द्र शासननी महान प्रभावना करता करता सौराष्ट्रमां
विचरी रह्या छे अने गामेगाम जिनेन्द्रभगवंतोनी प्रतिष्ठा करता जाय छे. गुरुदेवना प्रभावे
नितनित मंगल महोत्सव उजवाई रह्या छे.
* वढवाण शहेर *
वांकानेरथी विहार करतां करतां चैत्र वद ४ ना रोज पू. गुरुदेव वढवाण शहेर पधार्या,
त्यारे भक्तजनोए घणा उल्लासपूर्वक पू. गुरुदेवनुं स्वागत कर्युं हतुं. त्यारबाद चैत्र वद छठ्ठथी
आठम सुधी जिनमंदिरमां सीमंधरादि भगवंतोनी वेदी–प्रतिष्ठानो उत्सव ऊजवायो हतो.
वढवाणमां उपरना भागमां जिनमंदिर छे अने नीचेना भागमां स्वाध्यायमंदिर छे; वेदी–
प्रतिष्ठिानो मंडप स्वाध्याय मंदिरमां हतो. चैत्र वद छठ्ठना रोज रथयात्रा काढीने श्री
जिनेन्द्रभगवानने वेदी–मंडपमां बिराजमान कर्या हता अने झंडारोपण थयुं हतुं; तेमज वेदी–
प्रतिष्ठा माटे आचार्य–अनुज्ञा विधि थई तेमां वढवाणना मुमुक्षुसंघे वेदी–प्रतिष्ठा उत्सव माटे
पू. गुरुदेवनी आज्ञा लीधी हती, तेमज गुरुदेवना प्रतापे वढवाणना आंगणे
जिनेन्द्रभगवाननी प्रतिष्ठानो आवो सुअवसर प्राप्त थयो ते माटे पोतानो उल्लास अने
भक्तिभाव व्यक्त कर्यो हतो. तथा वीस–विहरमान भगवंतोनुं पूजन तेमज जिनेन्द्र–अभिषेक
थयो हतो. अने ईन्द्र–प्रतिष्ठा थई हती. चैत्र वद सातमना रोज जलयात्रा नीकळी हती, तेमज
यागमंडलविधान पूजा थई हती; अने जिनमंदिर, वेदी, कलश तथा ध्वजनी शुद्धि थई हती,
तेमां मुख्य विधि पू. बेनश्रीबेनना पवित्र हस्ते थई हती. चैत्र वद आठमना रोज सवारे परम
पूज्य गुरुदेवना मंगल करकमळथी जिनमंदिरमां जिनेन्द्रभगवंतोनी प्रतिष्ठा थई. प्रतिष्ठा
प्रसंगे भक्तजनोने घणो उल्लास हतो. वढवाण शहेरना जिनमंदिरमां मूळनायक तरीके
सीमंधर भगवान बिराजमान छे, तेमनी आजुबाजुमां महावीर भगवान तथा शांतिनाथ
भगवान बिराजमान छे; आ उपरांत पार्श्वनाथ भगवान बिराजमान छे. तेमज स्वाध्याय
मंदिरमां समयसारजी परमागमनी प्रतिष्ठा पण परम पू. गुरुदेवना मंगल हस्ते थई हती.
प्रतिष्ठा प्रसंगे वढवाण शहेरना भक्तजनोने घणो उल्लास हतो. शांतियज्ञ बाद सांजे
जिनेन्द्रदेवनी भव्य रथयात्रा नीकळी हती, अनेक प्रकारे आ रथयात्रा शोभती हती अने पू.
गुरुदेव पण साथे पधार्या हता. आ रीते घणा उल्लासपूर्वक भगवाननो वेदी–प्रतिष्ठा महोत्सव
ऊजवायो हतो. आ माटे वढवाण शहेरना मुमुक्षु संघने धन्यवाद घटे छे.
वढवाण शहेरमां पू. गुरुदेव एकंदर सात दिवस रह्या हता. छेल्ला दिवसोमां
टाउनहोलमां भगवानने बिराजमान करीने भक्ति करवामां आवी हती; तेमज मानस्तंभ
प्रतिष्ठा महोत्सव
(अनुसंधान माटे जुओ पाना नं. १६१)