Atmadharma magazine - Ank 132
(Year 11 - Vir Nirvana Samvat 2480, A.D. 1954)
(Devanagari transliteration).

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श्री.कं.ठ.वै.रा.ग्य.
(भक्ति करवा माटे नन्दीश्वर द्वीप तरफ जतां जतां, रस्तामां
मानुषोत्तर पर्वत पासे विमानो अटकी जतां श्रीकंठराजा वगेरे वैराग्य
पामीने दीक्षा धारण करे छे ते प्रसंगनुं काव्य)
(राग– मारा नेम पिया गीरनारी चाल्या.....)
हम जैन दिगंबर दीक्षा लेकर आतम काज करेंगे......हां......आतमकाज करेंगे
हम रत्नत्रयको धारण कर निज, –शिवसुखको ही वरेंगे......हां......
मात तात राज संपदा......छोड चलें वनमांय,
बाह्याभ्यंतर निग्रंथ बनी......मुनिव्रत धरें गुरु पास
–अहा! घोर संसार के बंधन छोडी, सिद्धका ध्यान धरेंगे......हां......हम......(१)
एकवार करपात्रमें...... अभिग्रह मनमें धार,
निर्दोष अहार जहां मिले...... अंतराय दोष टाळ......
–ऐसे मुनिमारग उत्तम धरके संयम सुख लहेंगे......हां......हम......(२)
पंचमहाव्रत हम धरें...... अठ्ठ वीस मूलगुण......
द्वादशांग तपको धरी...... लीन बनें निजरूप......
–उत्तम संयम तप धरके शुक्लध्यानकी श्रेणी चढेंगे......हां......हम......(३)
चारों गति दुःखसे छूटी......आत्मस्वरूपको ध्याय......
मध्य लोकसें दूर दूर...... सिद्ध भूमिमें जाय......
–यह भव बंधनको छेद प्रभु! हम, फीर नहीं जन्म धरेंगे......हां......हम......(४)
ब्रह्मचर्य प्रतिज्ञा
१–श्रावण वद अमासना रोज भावनगरना भाईश्री चमनलाल मगनलाल तथा तेमनां धर्मपत्नी
अमरतबेन–ए बंनेए सजोडे आजीवन ब्रह्मचर्य प्रतिज्ञा पू. सद्गुरुदेव पासे अंगीकार करी छे, ते
माटे तेमने धन्यवाद!
२–भादरवा वद छठ्ठना रोज दामनगर ना भाईश्री शांतिलाल प्रेमचंद उदाणी तथा तेमना धर्मपत्नी
चंपाबेन ए बंनेए सजोडे आजीवन ब्रह्मचर्य प्रतिज्ञा पू. गुरुदेव पासे अंगीकार करी छे; ते माटे
तेमने धन्यवाद!
३–भादरवा वद छठ्ठना रोज नोलीना भाईश्री कुंवरजी जेचंद शाहे आजीवन ब्रह्मचर्य प्रतिज्ञा पू.
गुरुदेव पासे अंगीकार करी छे; ते माटे तेमने धन्यवाद!
ः २३८ः आत्मधर्मः १३२