Atmadharma magazine - Ank 132
(Year 11 - Vir Nirvana Samvat 2480, A.D. 1954)
(Devanagari transliteration).

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विषयअंक पृष्ठविषयअंक पृष्ठ
प्रौढ वयना गृहस्थो माटे जैनदर्शन
शिक्षणवर्ग
ब–भ
बेसता वर्षनुं मांगलिक
बोटादमां वेदी प्रतिष्ठा (समाचार)
ब्रह्मचर्य प्रतिज्ञा (सोनगढ)
ब्रह्मचर्य प्रतिज्ञा (उमराळा)
ब्रह्मचर्य प्रतिज्ञा (राजकोट, वडीआ)
ब्रह्मचर्य प्रतिज्ञा (पोरबंदर)
ब्रह्मचर्य प्रतिज्ञा (ध्रोळ, मोरबी, वांकानेर)
ब्रह्मचर्य प्रतिज्ञा (वढवाण शहेर,
जोरावरनगर)
ब्रह्मचर्य प्रतिज्ञा (सुरेन्द्रनगर, लीमडी,
राणपुर, वीछीया)
ब्रह्मचर्य प्रतिज्ञा (वीछीया)
ब्रह्मचर्य प्रतिज्ञा (सोनगढ)
भगवाननी भक्तिनो भाव
भगवाननो आदर
भवनो अभाव केम थाय?
भवभ्रमणनो अंत
भावभीनुं भव्य स्वागत (सोनगढमां)
‘भूयत्थमस्सिदो खलु सम्माइट्ठी हवइ
जीवो’ (१)
‘भूयत्थमस्सिदो खलु सम्माइट्ठी हवइ
जीवो’ (२)
भेदविज्ञान
भेदविज्ञाननी प्रशंसा अने तेनो उपाय
म–य–र–व
मनुष्यनी फरज?
मनुष्यपणामां करवा जेवुं
महाकल्याणकारी सम्यग्दर्शन पामवानी रीत
(१)
महा कल्याणकारी सम्यग्दर्शन पामवानी रीत
(२)
महावीर भगवानना जन्मकल्याणक
महोत्सव संबंधी प्रवचन
महावीर भगवाननी मुक्तिनो मंगल
महोत्सव
मानस्तंभ खाते बाकी रहेती रकमो
मानस्तंभ प्रतिष्ठा महोत्सव अने
शुद्धनयना अवलंबननो उपदेश (१)
मानस्तंभ प्रतिष्ठा महोत्सव अने
शुद्धनयना अवलंबननो उपदेश (२)
मोक्ष अने बंधना कारणरूप भावो
मोक्षनुं कारण
मोक्षनुं मूळ
२९–१८४
२१–१
२८–१६३
२४–८३
२प–१०३
२६–१२३
२७–१२६
२८–१४६
२९–१७९
३०–२०३
३२–२३८
२७–१३७
२४–७९
२९–१८०
२७–१२प
२९–१६६
२३–६०
२४–६९
३०–१९४
३१–२२२
२३–प२
३१–२१२
२३–६०
२४–६९
२८–१पप
२१–प
३०–१८६
३१–२२४
२६–१२१
२७–१३४
२२–४३
२३–प३
२२–२८
मोक्षमार्गी मुनिवरोने कोनुं शरण?
मोक्षशास्त्र (हिंदी टीका संग्रह)
मोरबीमां प्रतिष्ठा प्रसंगे प्रतिष्ठितजिनबिंबो
मोरबीमां प्रतिष्ठा महोत्सव
मोरबी शहेरमां पंचकल्याणक प्रतिष्ठा
महोत्सव (समाचार)
मंगल सुप्रभात
रागी जीव बंधाय छे, वैरागी जीव छूटे छे
राणपुरमां जिनमंदिरनुं खातमुहूर्त
राणपुरमां वेदी प्रतिष्ठा (समाचार)
वडीआ गाममां जिनमंदिर
वढवाण शहेरमां वेदी प्रतिष्ठा (समाचार)
‘वाह वा जी वाह’ नी धून (जूनागढमां)
विद्यार्थीओ माटे अभ्यासनी सुंदर सगवड
(विद्यार्थीगृह)
विहार वर्तमान
वैराग्यना बे प्रसंग
वैराग्यनो एक प्रसंग
वांकानेरमां प्रतिष्ठाप्रसंगे प्रतिष्ठितजिनबिंबो
वांकानेरमां प्रतिष्ठा महोत्सव
वांकानेर शहेरमां पंचकल्याणक प्रतिष्ठा
महोत्सव (समाचार)
व्यवहारनयना आश्रये कल्याण केम नथी?
(१)
व्यवहारनयना आश्रये कल्याण केम नथी?
(२)
योग्यताही
शुद्ध आत्मानो अनुभव
शुद्ध आत्मानो अनुभव थई शके छे
शुद्ध नयना अवलंबननो उपदेश (१)
शुद्ध नयना अवलंबननो उपदेश (२)
‘शुं निमित्त विना कार्य थाय छे?’ एवी
दलीलनुं स्पष्टीकरण
श्री कंठ वैराग्य
श्री गुरुचरणनो उपासक
श्री जैन विद्यार्थीगृह–सोनगढ
‘सद्गुरुप्रवचन प्रसाद’ ना ग्राहकोने
समकीतिनी परिणति
समकीतिनो पुरुषार्थ
सम्यक् पुरुषार्थ
सम्यग्दर्शननुं सामर्थ्य
सम्यग्दर्शननो अफर उपाय
सर्वज्ञतानुं चिह्न
२४–७८
३१–२२४
२७–१४४
२६–१२३
२७–१२७
२१–१
२४–७४
२३–४६
२८–१६२
२प–१०३
२८–१४७
२६–११९
२६–१२४
२४–८३
२१–२३
२७–१४४
२६–१२३
२७–१३९
२४–७२
२प–९४
३२–३४४
२३–प६
२३–पप
२६–१२१
२७–१३४
२४–८२
३२–२३८
२२–३४
२६–१२४
२१–४
२२–४४
२९–१७२
२३–प८
३०–१९८
२६–१०प
२२–३२