
संबंध मरी गयो छे,–आवुं छे ज्ञातानुं जीवन!
द्रव्य ज कर्ता थईने पोताना पर्यायरूप कर्मने करे छे, त्यां ‘आ होय तो आ थाय’–एवी अन्य द्रव्यनी अपेक्षा
नथी; परनी अपेक्षा वगर एकला स्वद्रव्यमां ज कर्ताकर्मनी साबिती थई जाय छे. आ निश्चय छे, आवी निश्चय
वस्तुस्थितिनुं ज्ञान थयुं त्यारे बीजा निमित्तने जाणवुं ते व्यवहार छे. त्यां पण, आ वस्तुनुं कार्य तो ते
निमित्तथी निरपेक्ष ज छे,–निमित्तने लीधे आ कार्यमां कांई पण थयुं एम–नथी. व्यवहारथी निमित्तने कर्ता
कहेवाय, पण तेनो अर्थ एवो नथी के तेणे कार्यमां कांई पण करी दीधुं! ‘व्यवहार कर्ता’ नो अर्थ ज ‘खरेखर
अकर्ता.’ कर्ताकर्म अन्यथी निरपेक्ष छे एटले निमित्तथी पण निरपेक्ष छे, अन्य कोईनी अपेक्षा वगर ज पदार्थने
पोतानी पर्याय साथे कर्ता–कर्मपणुं छे. एकेक द्रव्यना छए कारको (कर्ता–कर्म–करण वगेरे) अन्य द्रव्योथी
निरपेक्ष छे, ने पोताना स्वद्रव्यमां ज तेनी सिद्धि थाय छे ; कर्ता–कर्म–करण–संप्रदान–अपादान अने अधिकरण,
ए छए कारको जीवना जीवमां छे, ने अजीवना अजीवमां छे. आम होवाथी जीवने अजीवनुं कर्तापणुं कोई रीते
सिद्ध थतुं नथी, पण जीव अकर्ता ज छे–ज्ञायक ज छे–एम बराबर सिद्ध थाय छे. आ रीते आचार्यदेवे जीवनुं
अकर्तापणुं सिद्ध कर्युं.
उत्तर:– अंदर ज्ञायकमां ठरवुं,–ए सिवाय बीजुं शुं करवुं छे? शुं तारे बहारमां कूदका मारवा छे? के परनुं
न थयो;–ए ज आ समजणनुं फळ छे. ‘हुं ज्ञायक छुं’ एम समज्यो,–त्यां ज्ञायक शुं करे? ज्ञायक तो
ज्ञाताद्रष्टापणानुं ज कार्य करे. ज्ञायक पासे परनुं के रागनुं काम करवानुं जे माने छे ते ज्ञायकस्वभावने समज्यो
ज नथी ने क्रमबद्धपर्यायने पण समज्यो नथी. भाई! ज्ञायकस्वभावनी सन्मुख थईने तेमां एकाग्र थतां
सम्यग्दर्शनथी मांडीने केवळज्ञान सुधीनी क्रमबद्धपर्याय खीलती जाय छे,–ने आ ज बधा उपदेशनो नीचोड छे.
सर्वविशुद्धज्ञान–अधिकारनी आ चार गाथाओमां आचार्यदेवे बधो नीचोड करी नांख्यो छे. ‘सर्व विशुद्ध ज्ञान’
एटले ज्ञायक मात्र शुद्ध आत्मा! तेनी प्रतीत कर, ने क्रमबद्धपर्याय जेम छे तेम जाण.
एटले के निर्मळ–निर्मळपणे वधती ज जाय छे. अथवा–द्रव्य कूदीने पोतानी निर्मळ क्रमबद्धपर्यायमां कूदका मारे
छे,–ते पर्यायपणे पोते ऊपजे छे, पण क्यांय बहारमां कूदका मारे एम नथी. पहेला ज्ञायकना भान वगर
मिथ्यात्व दशामां सूतो हतो, तेने बदले हवे स्वभावसन्मुख थईने ज्ञायकभगवान जाग्यो त्यां ते पोतानी
निर्मळपर्यायमां कूदवा लाग्यो, हवे वधती वधती निर्मळ पर्यायमां कूदतो कूदतो ते केवळज्ञान लेशे.
उत्तर:– भाई, ए प्रश्ननो उत्तर ए छे के ज्ञायकस्व–