Atmadharma magazine - Ank 142
(Year 12 - Vir Nirvana Samvat 2481, A.D. 1955)
(Devanagari transliteration).

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सुवर्णपुरी समाचार
अषड वद छठ्ठ

परम पूज्य गुरुदेव सुखशांतिमां बिराजे छे. सवारना व्याख्यानमां श्री प्रवचनसार वंचाय छे. तेमां
थोडा वखतमां पहेलो ज्ञान–अधिकार पूरो थईने बीजो ज्ञेयअधिकार शरू थशे.
बपोरना व्याख्यानमां श्री नियमसार वंचातु हतुं; तेनी अषाडवद त्रीजना रोज पूर्णता थई छे अने ते
ज दिवसे श्री अष्टपाहुड उपरनां प्रवचनोनी मंगल शरूआत थई छे. अष्टप्राभृतमां सौथी पहेलुं ‘दर्शनप्राभृत’
छे, तेमां दर्शन एटले के यथार्थ जैनमार्ग शुं छे तेनुं अलौकिक वर्णन छे, अने प्रवचनमां तेनुं अद्भुत
स्पष्टीकरण करीने पू. गुरुदेव यथार्थ जैनमार्गनुं स्वरूप समजावी रह्या छे, ने सम्यग्दर्शननो अपार महिमा
बतावी रह्या छे. आत्माना जिज्ञासु जीवोने आ अधिकार बहु उपयोगी छे.
धार्मिक प्रवचना खास दिवसो: –
श्रावण वद तेरस ने सोमवार ता. १प–८–पपथी, प्रथम भादरवा सुद पांचम ने सोमवार ता. २२–८–
पप सुधीना आठ दिवसोमां पू. गुरुदेवनां खास प्रवचनो थशे. आ दिवसोमां लोकोने निवृत्तिनो अवकाश
मळतो होवाथी तेओ सोनगढ आवीने लाभ लई शके ते हेतुए ज आ दिवसो राखवामां आवे छे.
‘दशलक्षणीपर्युषणधर्म’ बीजा भादरवा सुद पांचमथी शरू करीने चौदस सुधी उजवाशे.
जैन अतिथि सेवा समितिनी वार्षिक बेठक
प्रथम भादरवा सुद बीज ने शुक्रवार ता. १९–८–पप ना रोज सवारे व्याख्यान पछी श्री जैन
अतिथिसेवा समितिनी वार्षिक बेठक मळशे; तेमां सर्वे सभ्योने हाजर रहेवा विनंती छे.
ब्रह्मचर्य प्रतिज्ञा
अषाड वद त्रीजना रोज चित्तलवाळा भाईश्री मयाचंद छगनलाल तथा तेमना धर्मपत्नी जयाकुंवरबेन–
–ए बंनेए सजोडे आजीवन ब्रह्मचर्यप्रतिज्ञा अंगीकार करी छे; ते बदल तेमने धन्यवाद!
वैराग्य समाचार
वढवाण शहेरमां भाई उजमशी तलकशीना पुत्र प्रेमचंदभाईना धर्मपत्नी कुंदनबेन अषाड सुद १२ना
रोज स्वर्गवास पाम्या छे. वढवाणना मुमुक्षुमंडळमां तेओ एक उत्साही बेन हतां, अने श्री जिनेन्द्र भगवानना
दर्शन–भक्ति वगेरेमां आगळ पडतो भाग लेतां. पू. गुरुदेव जे अपूर्व तत्त्व समजावे छे ते समजवानो तेमने
घणो प्रेम हतो, अने लगभग छेल्ली घडी सुधी तेमनी आसपास स्वाध्याय–भजननुं वातावरण चालतुं हतुं.
आ रीते २७ वर्षनी नानी वयमां तेमनो स्वर्गवास थई गयो.
गुजरवदीवाळा उजमशी भाईना धर्मपत्नी मरघाबेन अषाड वद चोथना रोज हृदयना हुमलाथी
सोनगढमां स्वर्गवास पामी गया; पू. गुरुदेवना सत्समागमनो लाभ लेवा माटे छेल्ला केटलाक वर्षोथी तेओ
सोनगढमां रहेता हता. तेमना स्वर्गवासना आगला दिवसे सांजे पू. गुरुदेव दर्शन देवा पधारेला अने
मांगलिक संभळाव्युं त्यारे तेमणे उल्लास बताव्यो हतो; त्यारबाद थोडा कलाकोमां तेमनो स्वर्गवास थई गयो.
––संसारमां अनित्यतानां आवा अनेक प्रसंगो अहर्निश बनी ज रह्या छे; देहादिक संयोगनो स्वभाव
ज क्षणभंगुर छे; आवी वस्तुस्थिति जाणीने अने आवा वैराग्य प्रसंगो देखीने, देहथी पार एवा अविनाशी
चैतन्यतत्त्वनो आशरो जीवनमां मेळवे अने ए रीते आत्माने आ शरमजनक जन्म–मरणोथी छोडावे तेनी
बलिहारी छे. अरे! ज्ञानीओ जे अपूर्व भेदज्ञान समजावी रह्या छे ते ‘भेदज्ञानना अपूर्व संस्कारनी गंध’
आत्मामां बेसाडी देवी ते पण महा हितनुं कारण छे.–एटलुं करे तेनुं पण मानवजीवन सफळ छे.
अशुद्धी:– आत्मधर्म अंक १४१, पानुं २१९, पहेला कोलमना हेडींगमां “अगुणीनये आत्मानुं वर्णन”
एम छपायुं छे तेने बदले “गुणीनये आत्मानुं वर्णन” एम वांचवुं.