उपयोग एवा बे प्रकार छे; ते बे भेद बताववानो ए हेतु छे के कारणना अवलंबने कार्य थाय छे.
(२) कार्यस्वभावज्ञानउपयोग परिणाम
(विभावज्ञान उपयोगना भेद हवे पछी कहेशे.)
कार्य स्वभावज्ञान उपयोग ते तो परिपूर्ण निर्मळ एवुं केवळज्ञान छे. अने ते केवळज्ञानना कारणरूप
उपयोग अमूर्त–अव्याबाध–अतीन्द्रिय अने अविनाशी छे. तेमांथी कारणस्वभावज्ञानउपयोग तो सदाय–अनादि
अनंत अमूर्त–अव्याबाध–अतीन्द्रिय ने अविनाशी स्वभाववाळो छे, ने कार्यस्वभावज्ञानउपयोग पण प्रगटया पछी
तेवा ज स्वभाववाळो छे. कारणरूप स्वभावज्ञानउपयोग तो सदाय परम पारिणामिकभावमां स्थित छे ज, ते कांई
नवो थतो नथी. तेमांथी केवळज्ञान नवुं प्रगटे छे, तेने कार्यस्वभावज्ञानउपयोग कहे छे. आ कारणरूप के कार्यरूप
जेटला उपयोग कहेवाय छे ते बधा परिणामरूप छे, केमके चैतन्यने अनुसरीने वर्तता परिणाम ते उपयोग छे, ने
तेना प्रकारोनुं आ वर्णन चाले छे. कारणस्वभावज्ञान उपयोग बधाय जीवोमां अत्यारे पण वर्ती रह्यो छे, तेनी वात
खास समजवा जेवी छे.
उपयोग सादिअनंत छे. कारणस्वभावज्ञानने ‘परमपारिणामिकभावमां स्थित’ कह्युं छे, एटले शुं?
परमपारिणामिकभाव तो त्रिकाळी द्रव्य छे ने आ कारणस्वभावज्ञान उपयोग ते परमपारिणामिकभावमां स्थित छे.
‘परमपारिणामिकभाव’ ते द्रव्य छे, ‘तेमां स्थित’ ते पर्याय छे;–कई पर्याय? उत्पाद–व्ययरूप पर्याय नहि,–संसार
मोक्षरूप पर्याय नहि, पण त्रिकाळ स्वभावमां स्थितपणे आ पर्याय वर्ते छे. ते निरपेक्ष छे, कर्मनी उपाधिरहित छे,
सदशपरिणमनरूप छे, सामान्य पारिणामिकभावनी विशेषपरिणतिरूप छे, वर्तमान वर्ते छे, ते पूज्य छे–महिमावंत
छे–आश्रय करवा योग्य छे. आ वर्तमान धु्रवकारणरूप छे, ते धु्रवकारणना आश्रये पूरुं कार्य प्रगटी जाय छे, ने पछी
पण धु्रवकारणना आधारे ज पूरुं कार्य टके छे. अहो! आवुं सद्रशरूप धु्रवकारण परिपूर्णस्वरूपे आत्मामां वर्तमान
एकरूप वर्ते छे. आ कारणने पकडतां निर्मळ कार्य थई जाय छे.
वर्तमान बिराजी रह्यो छे. केवळज्ञानरूप कार्य तो पुरुषार्थथी नवुं प्रगटे छे, ज्यारे आ कारणस्वभावज्ञानउपयोग तो
आत्मा साथे अनादिअनंत वर्ते छे, ते कांई नवो नथी प्रगटतो तेनुं भान नवुं प्रगटे छे.
छे ते तो त्रिकाळी उपयोगपरिणतिनी वात छे. छतां आ पण छे तो परिणाम! चैतन्यअनुविधायी परिणामने
उपयोग कह्यो छे ते व्याख्या आमां पण लागु पडे छे, आ उपयोग त्रणे काळे आत्माना चैतन्यस्वभावने अनुसरीने
वर्ते छे; आने ‘परिणति’ कही, छतां वेदन तेनुं नथी, वेदन तो तेना
प्रथम भादरवोः २४८१