Atmadharma magazine - Ank 143a
(Year 12 - Vir Nirvana Samvat 2481, A.D. 1955)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 3 of 21

background image
दस लक्षण धर्म
दंसण मूलो धम्मो
सोनगढमां बीजा भादरवा सुद पांचम ने बुधवार ता. २१–९–पप थी भादरवा सुद
चौदस ने शुक्रवार ता. ३०–९–पप सुधीना दस दिवसो दसलक्षणी पर्व तरीके उजवाशे.
भादरवा सुद पांचमथी शरू थतां पर्युषण ते जैनशासनमां धर्मनी आराधनाना पर्व तरीके
प्रसिद्ध छे; आ पर्वने ‘दस लक्षणी पर्व’ कहेवामां आवे छे. ‘पर्युषण’ एटले सर्वप्रकारे आत्मानी
उपासना; मुख्यपणे सम्यग्दर्शन–ज्ञान–चारित्रपूर्वक उत्तमक्षमादि दसधर्मना धारक मुनि
भगवंतोने होय छे, तेथी मुनिवरोनी प्रधानताथी आ आराधना पर्व ‘दसलक्षणी पर्व’ तरीके
प्रसिद्ध छे. आ रीते दस लक्षणी पर्व ते खरेखर रागनुं पर्व नथी पण सम्यग्दर्शनपूर्वकनी
वीतरागी आराधनानुं पर्व छे. आ महामंगलपर्व प्रसंगे वीतरागी आराधनाना आराधक
संतोना चरणोमां अतिशय भक्तिपूर्वक नमस्कार करीने, आपणे पण सर्व प्रकारना उद्यमपूर्वक ए
पवित्र आराधनामां आत्माने जोडीए.....