स्वभावनुं अवलंबन वर्ते छे तेटलो ज धर्म छे.
एटले के आत्माने आनंदनी मीठासनो अपूर्व लाभ थाय तेनी वात छे. भाई! अनादिथी तें पुण्य पाप कर्या पण
तेमां तारो कांई शुकरवार न थयो–तने आत्माना आनंदनी प्राप्ति न थई. माटे हवे ते पुण्य–पापनुं अवलंबन
छोडीने चिदानंदस्वभावनी प्रतीति कर तो तने आत्माना अतीन्द्रिय आनंदनी प्राप्ति थाय ने तारुं अपूर्व कल्याण
थाय. चैतन्यस्वभावना अवलंबने आवो उपाय करीने भगवान परम हितरूप मोक्षपदने पाम्या. ते मोक्षदशा
कयांथी आवी? आत्मामांथी ज प्रगटी. आत्मानी पूर्ण शुद्ध दशा ते मोक्ष छे, ने आत्मानी अपूर्ण शुद्ध दशा ते संसार
छे. आत्मानो मोक्ष तेम ज संसार ए बंने आत्मामां ज छे. कांई शरीर–कुटुंब–मकान वगेरे परसंयोगमां आत्मानो
संसार नथी. जो बहारना संयोगमां आत्मानो संसार होय तो, मरतां ते कोई चीजोने जीव पोतानी साथे लई जतो
नथी, ते बधी चीजो अहीं छूटी जाय छे एटले संसार पण छूटी जवो जोईए ने मोक्ष ज थई जवो जोईए. परंतु
एम बनतुं नथी. संसार तो जीवनी पोतानी विकारी दशा छे, ते परमां नथी; मरतां जीव पोताना विकारभावने
साथे लई जाय छे ते संसार छे. आत्मानो संसार ने मोक्ष परमां नथी तेम ते संसार अने मोक्षनुं कारण पण परमां
नथी. पोतामां जे मिथ्यात्वादि अशुद्धभाव ते ज संसारनुं कारण छे अने सम्यग्दर्शनादि शुद्धभाव ते मोक्षनुं कारण छे.
मुक्तिनो उपाय छे. आत्माना स्वभावने ओळखीने तेनुं अवलंबन ले तो मुक्तिनो उपाय प्रगटे. अहीं गीरनार उपर
भगवान नेमिनाथ प्रभु अंतरना चिदानंदप्रभुनुं अवलंबन करीने ज मुक्ति पाम्या. भगवान ज्यारे अरिहंतदशामां
बिराजता हता त्यारे दिव्यध्वनि द्वारा जगतना जीवोने एवो संदेशो आप्यो के दरेक आत्मा चिद्घन स्वभावथी भरेलो
स्वयंभू छे, तेने पोताना मोक्ष माटे बहारनां साधनो शोधवा पडे–एम नथी, पोतामां ज मोक्षनुं साधन थवानी
ताकात छे. आवा आत्मस्वभावनी अंतर्मुख थईने तेनी प्रतीत करो.......तेमां एकाग्रता करो.....ते ज मुक्तिनो मार्ग छे
ने ते ज शांतिनो राह छे, आ सिवाय बीजा कोई उपायथी मुक्तिनो मार्ग प्रगटतो नथी.
आजे छे, ते कांई पलटीने बीजां नथी आव्यां; तेम ज जे मार्गथी भगवान मुक्ति पाम्या ते ज मुक्तिनो मार्ग आजे
छे, कांई मोक्षमार्ग बीजो नथी.–तो आ गीरनारजीनी जात्रामां, भगवान नेमिनाथ प्रभु कई रीते मोक्ष पाम्या ते
ओळखवुं जोईए ने? अने ते ओळखीने पोतामां पण तेवो उपाय प्रगट करे तो आत्मानुं कल्याण थाय. ‘भगवान
जे पंथे विचर्या ते पंथे विचरवुं’–एटले के चैतन्यस्वभावना जेवा श्रद्धा–ज्ञान–चारित्रथी भगवान मुक्तदशा पाम्या
तेवा सम्यक् श्रद्ध–ज्ञान–चारित्र पोताना आत्मामां प्रगट करवा ते भगवाननो पंथ छे ने ते ज मुक्तिनो मार्ग छे.