वार आवी ओळखाण करीने आत्मानां परम सत्यनो भणकार तो लावो. चैतन्यतत्त्वना भणकार विना बहारमां
सुख मानी मानीने अनादिकाळथी जीव क्षणे क्षणे भावमरण करी रह्यो छे. जो एक क्षण पण आत्मानुं सत्यस्वरूप
समजे तो भावमरण टळे ने अल्पकाळमां मुक्ति थाय. अहो! मारी चीज तो अंतरना ज्ञानस्वभावथी भरेली छे,
आनंदना निधान मारामां ज भर्यां छे, पण तेने चूकीने अत्यार सुधी हुं बहार रखडयो, छतां मारां चैतन्यनिधान
एवां ने एवा परिपूर्ण छे–आम अंर्तवस्तुनो स्वीकार करवो ने तेनो महिमा करीने स्वसन्मुख थवुं ते अपूर्व
आत्मकल्याणनुं मूळियुं छे.
दोष वखते ते दोष जेटलुं ज आत्मानुं स्वरूप नथी, पण दोषना अभावरूप आखुं द्रव्यस्वरूप छे. ए ज प्रमाणे
अल्पज्ञता वखते ते अल्पज्ञता जेटलो ज आत्मा नथी पण द्रव्यमां सर्वज्ञतानुं सामर्थ्य पडयुं छे. पर्यायमां व्यक्त
भले ओछुं होय पण द्रव्यस्वभावमां परिपूर्ण सामर्थ्य छे. माटे पर्यायबुद्धि छोडीने परिपूर्ण द्रव्यस्वभावनी द्रष्टि
करवी ते मनुष्यजीवननुं ध्येय छे. जेने आत्मानी समजण करवी होय ने हित करवुं होय तेणे आवा ध्येयने लक्षमां
राखीने जीवन जीववुं. भले अमुक हदना रागादि थता होय, पण ते मारुं ध्येय नथी ने तेमां मारुं हित नथी–एम
समजवुं.
निर्विकार स्वभाव आत्मामां पडयो छे, पण जीवने पोताना स्वभावनो भरोसो बेसतो नथी. लाकडामां क्रोध नथी
थतो, ने तेनामां क्षमागुण पण नथी; जीवनी अवस्थामां क्रोध थाय छे तो तेनी पाछळ त्रिकाळी क्षमागुण पडयो छे.
ज्यां गुण होय त्यां तेनी विकृतिथी दोष थाय. दोष क्षणिक छे ने गुण त्रिकाळ छे. ज्यां दोष थाय छे त्यां ते क्षणिक
दोषनी पाछळ त्रिकाळ निर्दोष गुण रहेलो छे. जेम के ज्यां क्रोध थाय छे त्यां ज त्रिकाळी क्षमागुण भर्यो छे, ज्यां
दुःख छे त्यां ज त्रिकाळी सुखगुण पडयो छे, ज्यां अल्पज्ञता छे त्यां ज स्वभावमां सर्वज्ञतानुं सामर्थ्य पडयुं छे. आ
रीते क्षणिक दोष अने त्रिकाळी गुण बंने एक साथे ज वर्ती रह्या छे पण तेमां गुणने भूलीने अज्ञानी पोताने दोष
जेटलो ज माने छे, एटले तेना दोष कोना अवलंबने टळे? क्षणिक विकृति जेटलो हुं नहि पण त्रिकाळी स्वभाव ते हुं
–एवुं भान करीने स्वभावनुं अवलंबन करे तो दोष टळीने गुणनी निर्दोषदशा प्रगटे. एनुं नाम धर्म छे.
तेमां एकाग्र थवुं ते तरवानो उपाय छे. कर्म मने रखडावे ने भगवान तारे–एम अज्ञानी माने छे. पण भाई!
कर्मनो तो तारा आत्मामां अभाव छे, तो ते तने कई रीते रखडावे? कर्मे तने नथी रखडाव्यो पण तुं तारी भूले ज
रखडयो छे. अने भगवान कोईने तारता नथी. जो भगवान तने तारता होय तो अत्यार सुधी केम न तार्यो?
खरेखर भगवान मने तारनार छे
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