Atmadharma magazine - Ank 149
(Year 13 - Vir Nirvana Samvat 2482, A.D. 1956)
(Devanagari transliteration).

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एम जे माने छे ते भगवाननी आसातना करे छे, केम के ‘हे भगवान! हवे तो तुं मने तार!’ एनो अर्थ ए थयो
के अत्यार सुधी तो तें मने न तार्यो ने तें ज मने संसारमां रखडाव्यो,–एटले तेणे खरेखर भगवाननी स्तुति नथी
करी पण भगवाननी विराधना करी छे. कर्म संसारमां रखडावे ने भगवान मोक्ष आपे एटले आत्माने तो कांई
करवानुं रह्युं ज नहि, आत्मा तो कर्म अने भगवान वच्चे लटकतो ज रह्यो! परंतु एम नथी. संसारमां ने मोक्षमां
बंनेमां आत्मा स्वतंत्र छे, आत्मा पोते ज पोताना संसारनो के मोक्षनो कर्ता छे, बीजो कोई तेनो कर्ता नथी.
पोताना स्वभावने भूलीने पर साथे एकपणानी मान्यताथी जीवे पोते