Atmadharma magazine - Ank 150
(Year 13 - Vir Nirvana Samvat 2482, A.D. 1956)
(Devanagari transliteration).

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जे जीव दर्शनशुद्धि करतो नथी, आत्माने अशुद्ध ज अनुभवे छे ते जीवे खरेखर भगवानना उपदेशनुं ग्रहण कर्युं
नथी. भगवानना उपदेशमां सारभूत सम्यग्दर्शन छे ते जन्म–जरा–मरणनो नाश करावनारुं छे ने मुक्ति प्राप्त
करावनारुं छे. अहो, श्रमणो के श्रावको, सौने पहेलां तो दर्शनशुद्धिनो ज भगवाननो उपदेश छे, दर्शनशुद्धि विना खरुं
श्रावकपणुं के श्रमणपणुं होतुं नथी. सम्यग्दर्शन पछी ज चारित्रदशा होय छे.
जुओ, जगतना बधा तत्त्वोमां जीवतत्त्व ज उत्तम छे; ने जीवना भावोमां पण सम्यग्दर्शन–ज्ञान–चारित्ररूप
शुद्धभाव ज उत्तम छे; अने तेमां पण सम्यग्दर्शन प्रधान छे. तेना वडे जीवनुं परमहित थाय छे, ने तेना विना ज्ञान–
चारित्र वगेरे बधुंय मिथ्या छे. माटे सम्यग्दर्शनने प्रधान जाणीने तेने ज अंगीकार करवानो उपदेश छे. सर्वज्ञनो
उपदेश सर्वज्ञता तरफ लई जवानो छे. वीतरागनो उपदेश वीतरागतानो ज पोषक छे. पहेलां ज्ञानानंदस्वभावनी
वीतरागी द्रष्टि करो, ते द्रष्टिपूर्वक ज यथार्थ ज्ञानचारित्र होय छे. सम्यग्दर्शन विना खरेखर सर्वज्ञनी पण साची प्रतीत
थाय नहि. सम्यग्दर्शन ते सर्व उपदेशनो मूळ सार छे. सम्यग्दर्शन थयुं त्यां मोक्षनो मार्ग हाथ आवी गयो.....
आत्मानी दशा पलटी गई...भगवाननो उपदेश एम कहे छे के अरे जीवो! तमारा आत्मामां पूर्ण परमात्मशक्ति भरी
छे. तेनी सन्मुख द्रष्टि करो. जेणे आवी द्रष्टि प्रगट करी तेणे ज भगवाननो उपदेश झील्यो छे आ सिवाय
शुभरागादिथी लाभ मानीने रोकाई जाय,–तो तेणे भगवाननो उपदेश सांभळ्‌यो ज नथी, केमके रागथी धर्म थाय–
एवो भगवाननो उपदेश छे ज नहीं. आत्माना शुद्धचिदानंदस्वभावने मुख्य करीने निश्चयनयथी तेने प्रतीतमां लईने
सम्यग्दर्शन करवुं–ते जैनधर्मनो प्रधान उपदेश छे, केमके धर्मनुं मूळ सम्यग्दर्शन छे. अने सम्यग्दर्शननी शुद्धिथी ज
आत्मानी सिद्धि थाय छे. माटे सर्व उद्यमपूर्वक सौथी पहेलां दर्शनशुद्धि प्रगट करवानो भगवाननो प्रधान उपदेश छे.
* जय हो दर्शनशुद्धि–धारक संतोनो *
विद्यार्थीओ माटे अभ्यासनी सुंदर सगवड
श्री जैन विद्यार्थीगृह, सोनगढ (सौराष्ट्र)
अहीं उपरोक्त बोर्डिंग छेल्लां चार वर्षथी चाले छे. तेमां जैनधर्म पाळता कोईपण फीरकाना विद्यार्थीओ के
जेमनी उमर ११ वर्ष अने तेथी वधु होय अने जेओ गुजराती धोरण पांचमुं अने तेथी उपरना गुजराती के अंग्रेजी
धोरणोमां अभ्यास करता होय तेओने दाखल करवामां आवे छे.
मासिक पूरी फीना लवाजमना रूा. २प तथा ओछी फीना रूा. १प लेवामां आवे छे.
अहीं एस. एस. सी. (मेट्रिक) सुधीना अभ्यास माटे हाईस्कूल छे.
अहीं विद्यार्थीओने हाईस्कूलना अभ्यास उपरांत श्री जैनदर्शननो धार्मिक अभ्यास पण कराववामां आवे
छे. विशेषमां पूज्य ‘श्री कानजी स्वामी’ जेवा आध्यात्मिक ज्ञानी संतना समागमनो तथा तेओनां तत्त्वपूर्ण
व्याख्यान श्रवणनो पण अपूर्व लाभ मळे छे.
संस्थानुं नवुं वर्ष तथा सत्र ता. १प–६–प६ थी शरू थाय छे. संस्थामां निश्चित संख्यामां ज विद्यार्थीओने
दाखल करवाना छे. आथी जे विद्यार्थीओने अहीं दाखल थवा ईच्छा होय.....तेमणे उपरोक्त सरनामे बे आनानी
टीकीटो मोकली, विद्यार्थीए पाळवाना धाराधोरण तथा नियमो अने प्रवेशपत्रो ता. २०–४–प६ सुधीमां मंगावी लेवां
अने ते भरी ता. २०–प–प६ सुधीमां परत मोकलवां. त्यार पछी आवेलां प्रवेशपत्रो स्वीकारवामां आवशे नहि.
मुंबईमां वसता विद्यार्थीओनी सगवडता माटे बोर्डिंग संबंधी कोईपण जातनी माहिती मेळववा तथा
प्रवेशपत्रो मेळववा नीचेना सरनामे प्रबंध करवामां आवेल छे.
श्री हिंमतलाल छोटालाल शाह
३४, सुतार चाल, (टेली नं. २८४४८)
झवेरी बजार, मुंबई नं २
ली.
१ मोहनलाल कालीदास जसाणी
२ मोहनलाल वाघजी महेता करांचीवाला
–मंत्रीओ
श्री जैन विद्यार्थीगृह, सोनगढ (सौराष्ट्र)