Atmadharma magazine - Ank 151
(Year 13 - Vir Nirvana Samvat 2482, A.D. 1956)
(Devanagari transliteration).

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वैशाख : २४८२ आत्मधर्म : १२५ :
स्वभावसामर्थ्यनो निर्णय कर्यो. तेणे पोताना आत्मामां सर्वज्ञतानुं बीबुं छाप्युं. जेवुं बीबुं होय
तेवी छाप ऊठे, तेम सर्वज्ञनो निर्णय करीने जेणे सर्वज्ञतानुं बीबुं पोताना आत्मामां छाप्युं तेने
आत्मामां सर्वज्ञतानो एवो रंग चड्यो... के... अल्पकाळमां ते पोते सर्वज्ञ थई जाय छे. जुओ, आ
रंग!! एने आत्मानो रंग लाग्यो कहेवाय. अनादिथी रागथी ने ईन्द्रियोथी ज्ञान थाय एम मानीने
ज्ञानमां रागनो ने निमित्तनो रंग चडाव्यो छे, तेने बदले सर्वज्ञनो निर्णय करे ने मारा ज्ञानमां
सर्वज्ञ थवानुं सामर्थ्य छे–एम नक्की करीने ज्ञानमां सर्वज्ञतानो
रंग चडावे तो पोताना आत्मामां
सर्वज्ञतानी छाप पडी जाय, –पोते सर्वज्ञ थई जाय. माटे हे जीव! एकवार तारा आत्मामां सर्वज्ञतानो
रंग चडाव.
(९) सर्वज्ञदेवे कहेलो सर्वज्ञ थवानो उपाय
भगवाने समवसरणमां दिव्यध्वनिथी एम कह्युं छे के तारा ज्ञानस्वभावनो निर्णय करीने तेनी
सन्मुख एकाग्र था ते सर्वज्ञ थवानो उपाय छे. अमे आ ज उपायथी मोहनो नाश करीने सर्वज्ञ थया
छीए ने तमारे माटे पण ए ज उपाय छे. आवो उपाय भगवाने जाते कर्यो ने मुमुक्षुओने माटे आवो ज
उपाय भगवाने उपदेश्यो आ सिवाय बीजो उपाय छे ज नहीं.
(१०) आत्मामां सर्वज्ञ भगवानी प्रतिष्ठा
अहो, केवळज्ञाननी उत्कृष्ट महिमावंत दशा!! एने स्वीकारनार जीव पोताना ज्ञानस्वभावनी
सन्मुख थया विना रहे नहि. ज्ञानस्वभावनी सन्मुख थईने जेणे केवळज्ञाननो महिमा कर्यो तेने अपूर्व
सम्यग्दर्शन थयुं ... तेणे पोताना आत्मामां सर्वज्ञ भगवाननी प्रतिष्ठा करी... केवळी भगवान जेवो ज
आनंदनो अनुभव तेने थयो... आवुं भावश्रुत प्रगट्युं ते केवळज्ञानी भगवाननी भक्ति छे ने ते ज
परमार्थे अपूर्व महोत्सव छे. भावश्रुतना बळे जेणे पोताना आत्मामां सर्वज्ञभगवाननी प्रतिष्ठा करी ते
पोते अल्पकाळमां साक्षात् सर्वज्ञ थई जाय छे.
जय हो सर्वज्ञदेवनो
पा ले ज मां प्र भु प धा र्या
परम पूज्य गुरुदेवना प्रतापे अनेक स्थळोए जिनमंदिरो स्थाप्या छे ने स्थपाता जाय छे. पू. गुरुदेव
अनेक वर्षो पालेजमां रहेला छे, तेथी त्यांना भक्तजनो दि. जिनमंदिर बंधावी रह्या छे. आ जिनमंदिरमां
बिराजमान करवा माटे श्री अनंतनाथ भगवान, श्री अभिनंदन भगवान, श्री अमरनाथ भगवान, श्री
सीमंधर भगवान वगेरे जिनबिंबोनी पंचकल्याणक प्रतिष्ठा चैत्र सुद तेरसे मिश्रोली (–राजस्थान) मां
कराववामां आवी छे. आ प्रतिष्ठित थयेला जिनेन्द्र भगवंतो चैत्र सुद पूर्णिमाना रोज पालेजमां पधारतां
भक्तजनोए उल्लासपूर्वक स्वागत कर्युं हतुं; पोताना आंगणे भगवंतो पधार्या तेथी भक्तजनोने घणो हर्ष
थयो हतो. आ सुअवसर माटे त्यांना मुमुक्षुओने वधाई!