: २०६ : ‘आत्मधर्म’ : भादरवो : २४८२
थता होवा छतां तेनी साथे संयोग संबंध केम कह्यो?
उत्तर:– ते क्रोधादिने जीवना शुद्धस्वरूप साथे एकता नथी पण भिन्नता छे, तेथी त्रिकाळी शुद्धस्वभावनी
अपेक्षाए जीवने क्रोधादि साथे मात्र संयोगसंबंध छे. जीव ज्यां पोताना शुद्धस्वरूपमां एकतारूपे परिणम्यो त्यां
ते क्रोधादिनो संबंध छूटी जाय छे, माटे तेने आत्मा साथे संयोगसंबंध ज कह्यो.
(२८) प्रश्न:– आत्मा अने क्रोधादिनुं भेदज्ञान कई रीते छे?
उत्तर:– आत्माने जेवो संबंध ज्ञान साथे छे तेवो संबंध क्रोधादि साथे नथी; ज्ञान साथे तो आत्माने
गुण–गुणीरूप एकतानो संबंध छे, ज्यारे क्रोधादि साथे आत्मस्वभावनी एकता नथी पण भिन्नता छे तेथी
तेनी साथे मात्र संयोगसंबंध छे–आ रीते क्रोधादिथी ज्ञाननी अधिकता (एटले के भिन्नता) जाणीने आत्मा
ज्ञानरूपे परिणम्यो ते ज आत्मा अने क्रोधादिनुं भेदज्ञान थयुं.
(२९) प्रश्न:– भेदज्ञान थतां शुं थाय छे?
उत्तर:– भेदज्ञान थतां आत्मा क्रोधादिरूपे परिणमतो नथी तेथी तेने बंधन थतुं नथी, एटले ते मुक्ति
पामे छे.
(३०) प्रश्न:– जेने एवुं भेदज्ञान नथी तेने शुं थाय छे?
उत्तर:– जेने आत्मा अने क्रोधादिनुं भेदज्ञान नथी ते अज्ञानी जीव क्रोधादिनो कर्ता थईने परिणमे छे
तेथी तेने बंधन थाय छे. (–चालु)
पुस्तकोनी किंमतमां खास घटाडो
संवत २०१२ ना श्रावण वदी ११ने वार शनिवार ता. १–९–५६थी भादरवा सुद ४ ने शनिवार
ता. ८–९–५६ सुधी स्वाध्याय मंदिर तरफथी गुजराती पुस्तकोमां नीचे मुजब कमीशन आपवामां
आवशे:–
समयसार, नियमसार, प्रवचनसार, कार्तिकेयानुप्रेक्षा, मोक्षशास्त्र, आ पांच पुस्तको सिवाय नीचे
मुजब कमीशन आपवामां आवशे–
रूा. १० थी २५ सुधीनां पुस्तको लेनारने दर रूपिये ०/– एक आना मुजब, रूा. २६ थी १००
सुधीनां पुस्तको लेनारने दर रूपिये ०/– बे आना मुजब, रूा. १०० थी उपरांत लेनारने २५/– पचीस
टका कमीशन आपवामां आवशे.
उपर लखेला पुस्तको सिवाय समयसार, नियमसार, दरेक दसदस पुस्तको एकीसाथे लेनारने
१२/– साडाबार टका कमीशन आपवामां आवशे.
समयसार प्रवचन भाग. २, ३, ४, प, चारनो सेट लेनारने २५ पचीस टका कमीशन आपवामां
आवशे.
समयसार प्रवचन भाग. २, ३, ४, प, मो तथा नियमसार प्रवचन भा. १ तथा २ एक साथे ६
पुस्तको लेनारने ३० त्रीस टका कमीशन आपवामां आवशे. : प्राप्तिस्थान :
श्री जैन स्वाध्याय मंदिर
मुं: सोनगढ (सौराष्ट्र)