Atmadharma magazine - Ank 155
(Year 13 - Vir Nirvana Samvat 2482, A.D. 1956)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 4 of 23

background image
सुवर्णपुरी समाचार
एक वधामणी!!!
भक्तजनोने वधामणी आपतां आनंद थाय छे के–तीर्थाधिराज श्री
सम्मेदशिखरजी धामनी यात्राए जवाना निर्णयनी जाहेरात परम पूज्य गुरुदेवे
आ श्रावण सुद एकमना रोज करी दीधी छे. अनेक भक्तजनोने घणा वखतथी पू.
गुरुदेवनी साथे सम्मेदशिखरजी तीर्थराजनी यात्रा करवानी हृदयनी भावना हती;
तेथी पू. गुरुदेवना श्रीमुखथी उपर्युक्त वधामणी सांभळतां सौ भक्तजनोने घणो
ज हर्ष थयो हतो. तेमज थोडा ज वखतमां गामेगाम तेनो संदेश पहोंची गयो
हतो; अने आ मंगल समाचार सांभळतां ज चारेकोर गामेगामथी खुशाली व्यक्त
करता तारो तथा पत्रो आव्या हता. पू. गुरुदेवनो महान प्रभावना उदय देखीने,
तथा पू. गुरुदेवनी साथे साथे शाश्वत सिद्धिधामने भेटवानी भावनाथी,
भक्तजनोनां हैयां थनगनी रह्यां छे. आवता वर्षे लगभग फागण मासमां
सम्मेदशिखरजी पहोंचवानुं थशे.
सोनगढमां जे भव्य जिनमंदिर तैयार थई रह्युं छे, तेना उपरना भागमां
भगवान श्री नेमिनाथ प्रभुनी वेदीप्रतिष्ठानुं तेमज कलश–ध्वजारोहण वगेरेनुं
शुभमुहूर्त कारतक मासमां आव्युं छे, सोनगढ–प्रतिष्ठा बाद विहार करीने पू.
गुरुदेव पालेज तरफ पधारशे; पालेजमां नुतन जिनमंदिरमां श्रीअनंतनाथ
भगवाननी वेदीप्रतिष्ठानुं शुभमुहूर्त मागसर सुद १४ नुं आवेल छे. पालेज–
प्रतिष्ठा बाद पू. गुरुदेव मुंबई पधारशे, अने मुंबईथी तीर्थधाम श्री
सम्मेदशिखरजी तरफ पधारशे.
जय सम्मदशखर! . जय गरुदव!