Atmadharma magazine - Ank 155
(Year 13 - Vir Nirvana Samvat 2482, A.D. 1956)
(Devanagari transliteration).

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परमपूज्य गुरुदेव सुखशांतिमां बिराजमान छे.
श्रावण सुद पूर्णिमाना दिवसे रक्षाबंधन पर्व निमित्ते श्री अकंपनआचार्य तथा विष्णुकुमार
मुनि संबंधी वात्सल्य भरेली कथा प. गुरुदेवे प्रवचनमां कही हती. ते ज दिवसे प्रवचनमां
समाधिशतकनुं वांचन पूरुं थयुं हतुं अने ‘ईष्टोपदेश’ उपर प्रवचनो शरू थया हता.
भादरवा सुद पांचम ने रविवारथी दसलक्षणी–पर्युषणपर्व शरू थशे. तेना प्रथम दिवसे
(भादरवा सुद पांचम ने रविवारे) चौद कुमारिका बहेनो एकसाथे आजीवन ब्रह्मचर्यप्रतिज्ञा पू.
गुरुदेव पासे अंगीकार करवाना छे. ए एक खास प्रभावनानो प्रसंग धार्मिक–उत्सवना दिवसो
दरमियान आ वखते बपोरना प्रवचनमां ‘भक्तामर–स्तोत्र’ उपर पू. गुरुदेवनां अद्भुत भक्ति
भरेलां अने अध्यात्मरस झरतां प्रवचनो थशे.
• आत्मधर्मना ग्राहकोने विनंती •
आत्मधर्मना ग्राहकोने खास विनंती करवामां आवे छे के ‘आत्मधर्म’ नुं नवा वर्षनुं लवाजम
जेम बने तेम वहेलासर भरीने व्यवस्थामां सहकार आपशो. बनी शके तो पर्युषण दरमियान
आपनुं लवाजम जरूर भरी देशो.
नमः श्री नेमिनाथ
* तीर्थधाम सोनगढमां एक भव्य प्रसंग *
एक साथे १४ कुमारिका
बहेनोनी ब्रह्मचर्यप्रतिज्ञा
आत्मधर्मना जिज्ञासु वांचकोने सहर्ष जणाववानुं के परमपूज्य सद्गुरुदेव श्री
कानजीस्वामीना वैराग्यभरपूर अध्यात्मउपदेशना प्रतापे अनेक जिज्ञासु जीवोनां जीवन
पलटाई जाय छे, ने महान धर्मप्रभावना दिनदिन वधती जाय छे... अने अनेक
जिज्ञासुओ सत्समागम अर्थे जीवन समर्पण करे छे. एवी ज भावनाथी सोनगढमां
लांबा वखतथी रहीने पू. गुरुदेवना सत्समागमनो लाभ लेनार चौद कुमारिका बहेनो
आ भादरवा सुद पांचम ने रविवार ता. ९–९–५६ना रोज आजीवन ब्रह्मचर्यप्रतिज्ञा
अंगीकार करवानां छे. परम पूज्य गुरुदेवना उपदेशना प्रभावथी, तेम ज पू.
बेनश्रीबेनजीनी शीतल हूंफथी आ सर्वे बहेनो आवी महान हिंमत प्राप्त करी शक्यां छे.
संतोनी छायामां एक साथे आटला बधा कुमारिका बहेनोनी ब्रह्मचर्यप्रतिज्ञानो आ
प्रसंग अपूर्व अने अभिनंदनीय छे. आ प्रसंग जोवानो तथा ते वखतना पू. गुरुदेवना
अद्भुत वैराग्यभरपूर प्रवचननो खास लाभ जिज्ञासुओ लई शके ते माटे आ
शुभसमाचार अहीं प्रसिद्ध करवामां आव्या छे.