Atmadharma magazine - Ank 156
(Year 13 - Vir Nirvana Samvat 2482, A.D. 1956)
(Devanagari transliteration).

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: २४४ : आत्मधर्म (‘ब्रह्मचर्य अंक’–बीजो.) २४८२ : आसो :
धर्ममाता पू. बेनश्रीबेन
: : संक्षिप्त परिचय : :
जे कुमारिका बहेनोना ब्रह्मचर्य–प्रसंग निमित्ते आ ब्रह्मचर्य–अंक प्रसिद्ध थाय छे
ते बहेनोना जीवनमां, परम पूज्य गुरुदेवना आत्मस्पर्शी उपदेश उपरांत, पू.
बेनश्रीबेननो पण महान आधार छे, तेथी अहीं आ प्रसंगे तेओश्रीनो संक्षिप्त
परिचय आपवामां आव्यो छे.
पूज्य बेनश्री चंपाबेन
तेमनो जन्म सं. १९७०ना श्रावण वदी बीजे वढवाण शहेरमां थयो.......पिताश्रीनुं नाम
जेठालालभाई ने मातुश्रीनुं नाम तेजबा. ते वखते ए बाळकीना तेजनी तेजबाने खबर न हती के ‘आ बाळकी
मात्र मारी पुत्री तरीके ज नहि परंतु भारतना हजारो भक्त–बाळकोनी धर्ममाता थवा माटे अवतरेली छे.’
केटलोक वखत तेओ करांचीमां रह्या......त्यारबाद १९८६नी सालमां मात्र सोळ वर्षनी वये तेओ पू.
गुरुदेवना पहेलवहेला परिचयमां (वढवाण तथा भावनगर मुकामे) आव्या......ने पूज्य गुरुदेवनी
आत्मस्पर्शी वाणी सांभळतां ज ए वैरागी आत्माना संस्कारो झणझणी ऊठया. पू. गुरुदेवनी वाणीमां
आत्माना आनंदस्वभावनी अद्भुत महिमाभरेली वात सांभळतां तेमने एम थतुं के ‘अहो! आवो स्वभाव
मारे प्राप्त करवो ज छे’......अने......ए द्रढनिश्चयी आत्माए, आत्ममंथननी सतत धून जगावीने अल्पकाळमां
ज पोताना मनोरथ पूरा कर्या. मात्र १९ वर्षनी वयमां अपूर्व आत्मदशा प्राप्त करी........
पूज्य बेन शांताबेन
तेमनो जन्म सं. १९६७ना फागण सुद अगीआरसे ढसा–ढोलरवा गामे थयो. पिताजी मणीलालभाई ने
माताजी दीवाळीबा. सं. १९८३थी तेओ पू. गुरुदेवना परिचयमां (लाठी मुकामे) आव्या. आत्मानी प्राप्ति माटे
ए वैरागी आत्मा रातदिन झंखतो हतो......
सं. १९८९मां परमपूज्य गुरुदेवना चातुर्मास वखते राजकोटमां ज्यारे बेनश्री चंपाबेन आव्या ने
अमुक वातचीत थई........त्यारे आध्यात्मिक झवेरी गुरुदेवे ए चैतन्यरत्नना तेज पारखी लीधां..... ने
शांताबेनने भलामण करी के तमारे आ बेननो परिचय करवा जेवो छे.
बस, एक तो संस्कारी आत्मानी तैयारी ने वळी गुरुदेवनी आज्ञा!–पछी शुं कहेवानुं होय!! शांताबेने
महान आत्म–अर्पणतापूर्वक पू. चंपाबेननो परिचय कर्यो......पू. चंपाबेने हृदयना ऊंडा ऊंडा भावो खोल्या ने
आत्मिक उल्लास आपी आपीने छेवटे तेमने ‘आप समान बनाव्या.’.....ए रीते आत्मप्राप्ति माटे झुरता ए
आत्माए पण आत्मप्राप्ति करी लीधी.