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भक्तिनुं मिलन थयुं.......जाणे के आनंद अने ज्ञाननुं मिलन थयुं!
विशेष छीए...”... अने खरेखर एम ज छे. एमना देह भले बे देखाय छे पण बे देह वच्चे आत्मा तो जाणे
एक ज होय!–एवी एमना हृदयनी एकता छे.
परम पूज्य गुरुदेवने आ बंने बेनो प्रत्ये पुत्रीवत् अपार वात्सल्य छे......अने आ बंने बहेनोना
मात्र ‘देडकाना ठेकडा’ जेवी ज गणाशे. टूंकामां एटलुं ज कहेवुं बस थशे के–पू. गुरुदेवना आत्मस्पर्शी
अध्यात्मोपदेशने यथार्थपणे आत्मामां झीलीने, पवित्र ज्ञानथी अने वैराग्यथी, विनयथी अने अर्पणताथी,
भक्तिथी अने प्रभावनाथी, सर्व प्रकारे तेओए पू. गुरुदेवनी अने जिनशासननी शोभा वधारी छे.