Atmadharma magazine - Ank 156
(Year 13 - Vir Nirvana Samvat 2482, A.D. 1956)
(Devanagari transliteration).

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भारतना श्राविका – शिरोमणि
– जेमनाथी आजे भारतनो श्राविकासंघ शोभी रह्यो छे.
पूज्य मातुश्री....!
आपना जीवननो अनुभव, आपना जीवननुं ज्ञान, आपना जीवननो वैराग्य,
आपना जीवननी गंभीरता, आपना जीवनमां देव–गुरु–धर्म प्रत्येनी अपार भक्ति–
अर्पणता, अने आपनुं परस्परनुं वात्सल्य,–ए बधुंय अमारे शीखवानुं छे. विशेष
शुं कहीए? आपनुं आखुं जीवन ज अमारा माटे एक महान आदर्श छे तेथी–
‘यह जवन तमस जवन ह.’
–एवी भावनापूर्वक आत्मधर्मनो आ ब्रह्मचर्य–अंक अमे आपनां पावन
करकमळमां अर्पण करीए छीए.
–आपनां बाळको.