बेनोनी छत्रछायामां आ ब्रह्मचारी बेनोनुं रक्षण ने पालन थाय छे, ते बेनोनो प्रभाव छे. आ बेनोनां
(बेनश्री चंपाबेन तथा बेन शांताबेनना) आत्मा अलौकिक छे.......... आ काळे आवा बेनो पाक्या ते मंडळनी
बेनुंना महाभाग्य छे..... जेनां भाग्य हशे ते तेमनो लाभ लेशे.”
गुरुदेवनो महा प्रभाव छे.......... आनंदनिधान चैतन्यभगवानना दर्शन करीने तेनुं जे स्वरूप पू. गुरुदेव
बतावे छे ते झीलीने, “अमे अमारा आवा आनंदनिधानने केम वरीए!.....ने आ दुःखद भवसागरथी केम
तरीए?”–एवी भावनाथी, “ज्यां सुधी ए आनंदधाम हाथ न लागे त्यां सुधी ते आनंदधामने स्पर्शीने
आवती संतोनी वाणी सांभळ्या ज करीए.......... संतोनी छायामां रहीने ए आनंदधामनी झांखी करावनारी
वाणीनुं मंथन कर्या ज करीए” –आवी भावनाथी आजे आ बेनोए ब्रह्मचर्यप्रतिज्ञा लीधी छे. ते माटे तेमने
अत्यंत अभिनंदन घटे छे...........जे भावनाथी तेमणे आ कार्य कर्युं छे ते भावनामां आगळ वधीने तेओ
पुरुषार्थ वडे आत्महित साधे–एम ईच्छीए.....आपणे सौए पण ए करवा जेवुं छे के जेथी अनंत भवभ्रमणथी
छूटीए......आ बेनोए जे विराट प्रयत्न आदर्यो छे ते माटे तेमने फरीने अभिनंदन!....तेओए तेमना कुटुंबने
अजवाळ्युं छे.......ने मुमुक्षुमंडळनुं गौरव वधार्युं छे.”
लखे छे के–
मूर्तरूप सौराष्ट्र के अनेक तरुणा बालब्रह्मचारी बन्धुओंमें द्रष्टिगोचर हो रहा है। इसी प्रकार ब्राह्मी–सुन्दरी
और राजीमतीके आदर्शको कार्यान्वित करनेवाली सोनगढमें विद्यमान २० बालब्रह्मचारिणी बहनें तथा
युवानस्थामें ही ब्रह्मचर्य अंगीकार करनेवाले अनेक दम्पती भगवान महावीरके तीर्थकी प्रभावना कर उसे
सार्थक बना रहे हैं। निःसंदेह आज यह भौतिकता पर आध्यात्मिकताकी विजय है।
राखीने आगळ वधो’ –एवी भावनारूप आशीर्वाद आप्या हता; तेम ज दरेक बहेनने एकेक साडलो तथा
चांदीनो ग्लास भेट आपवामां आव्या हता.
अनेक गामोथी हजार उपरांत लोको आव्या हता..... ने दरेक गामना श्री संघोए पोतानुं वात्सल्य बताव्युं हतुं.
अनेक लोकोए कुमारिका–ब्रह्मचर्याश्रमना फंडमां हजारो रूपियानी रकमो लखावी हती. सुतार अने रबारी
सुद्धांए रकमो लखावीने आ प्रसंगे पोतानो प्रमोद जाहेर कर्यो हतो.