Atmadharma magazine - Ank 157
(Year 14 - Vir Nirvana Samvat 2483, A.D. 1957)
(Devanagari transliteration).

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• नूतन वर्षना प्रारंभे •
मंगलं भगवान् वीरो मंगल गौतमो गणी।
मंगलं कुन्दकुन्दार्यो जैनधर्मोस्तु मंगलम्।।
भगवान श्री सीमंधर...महावीरादि पंचपरमेष्ठी भगवंतोने, परम उपकारी गुरुदेवने अने जिनवाणी–
भगवतीमाताने अतिशय भक्तिपूर्वक आ नूतन वर्षना प्रारंभे अभिवंदना करीए छीए...तेमज सर्वे साधर्मी
जनोने वात्सल्यपूर्वक अभिनंदन करी छीए..
आजे आपणुं ‘आत्मधर्म’ मासिक तेर वर्ष पूरां करीने चौदमा वर्षमां प्रवेश करे छे. ‘आत्मधर्म’ ए
भारतनुं अजोड आध्यात्मिक पत्र छे...तेमां परमपूज्य सद्गुरुदेव श्री कानजीस्वामीना आत्महितकारी उपदेशनो
मुख्य सार आपवामां आवे छे. हजारो जिज्ञासुओ होंसे होंसे आ मासिकनुं वांचन करे छे ने तेमां आवेला पू.
गुरुदेवना उपदेशद्वारा शांति अने धर्मनी प्रेरणा मेळवे छे. संसारना झंझटोथी आ मासिक सदा दूर रहे छे.
जिज्ञासु जीवोनुं महान सौभाग्य छे के, संसारमां चारे तरफ ज्यारे अत्यंत किलष्ट अने हळहळतुं
वातावरण घेरायेलुं छे त्यारे पण, आत्माने जगतथी जुदो पाडीने आत्मिक शांति प्राप्त करवानो अपूर्व
कल्याणकारी राह परमपूज्य गुरुदेव बतावी रह्या छे...हे भव्य साधर्मी बंधुओ! संसारना हळहळता
वातावरणथी छूटीने आत्मिकशांति प्राप्त करवा माटे, पू. गुरुदेवे बतावेला आ पावनपंथने ओळखो अने शीघ्र
एने अनुसरो.
आ आत्मधर्म मासिकनुं वार्षिक लवाजम रूा. त्रण छे. ते मोकलवानुं सरनामुं–
श्री जैन स्वाध्याय मंदिर, सोनगढ (सौराष्ट्र)
सोनगढमां वेदीप्रतिष्ठा.पू. गुरुदेवनो विहार
तीर्थराज सम्मेदशिखरजीनी यात्रा
तीर्थधाम सोनगढमां जे भव्य उन्नत अने सुशोभित जिनमंदिर तैयार थयुं छे तेना उपरना भागमां
भगवान श्री नेमिनाथ प्रभुनी पुन: वेदीप्रतिष्ठा कारतक सुद १२ ने गुरुवार ता. १५–११–५६ना शुभ दिवसे
थवानी छे. ए मंगल दिने उपरना जिनमंदिरनी वेदी उपर श्री नेमिनाथ भगवान बिराजमान थईने
जिनमंदिरने शोभावशे...ए जिनमंदिरनुं उन्नत शिखर सुवर्णकलशथी सुशोभित थशे अने तेना उपर, जमीनथी
लगभग ७५ फूट ऊंचे गगनमां श्री जिनेन्द्रदेवनो धर्मध्वज फरकशे. वेदीप्रतिष्ठानो महोत्सव कारतक सुद १०–
११–१२ ए त्रण दिवसनो राखवामां आव्यो छे.
सोनगढ–जिनमंदिरनी वेदीप्रतिष्ठा बाद, कारतक सुद पूर्णिमाने रविवारना रोज पुनित विहार करीने पू.
गुरुदेव पालेज तरफ पधारशे. पालेजमां मागसर सुद ११ ना रोज जिनमंदिरमां भगवान श्री अनंतनाथ वगेरे
जिनेन्द्रभगवंतोनी वेदीप्रतिष्ठा थवानी छे.
पालेज–प्रतिष्ठा महोत्सव बाद पू. गुरुदेव मुंबई पधारशे. ने त्यारबाद लगभग पोष वद पांचमे
संघसहित शाश्वत तीर्थराज सम्मेदशिखरजी वगेरे तीर्थधामोनी यात्रा माटे संघसहित पधारशे. सम्मेदशिखरजी ए
आ भरतभूमिनुं एकनुं एक शाश्वत तीर्थधाम छे, अनंता तीर्थंकरो त्यांथी मुक्ति पाम्या छे; वर्तमान २५
तीर्थंकरोमांथी २० तीर्थंकरो त्यांथी ज मुक्ति पाम्या छे. आवा सिद्धिधामनी यात्राए पू. गुरुदेव संघसहित पधारी
रह्या छे–ए समाचारथी दिगंबर जैनसमाजमां गामेगाम उत्साह अने आनंदनुं वातावरण फेलाई गयुं छे.
हालना कार्यक्रम मुजब यात्रासंघ मुंबईथी पोष वद पांचम ने रविवारे शुभप्रस्थान करीने गजपंथा,
मांगीतुंगी, धूळिया, बडवानी, उन–पावागिरि, खंडवा, सिद्धवरफूट, इंदोर, उज्जैन, मक्षी–ब्योवरा, गुना, झांसी,
सोनागिरि, ग्वलियर, आग्रा, मथुरा, शौरीपुर, मैनपुरी, कानपुर, लखनौ, अयोध्या, बनारस, डालमियानगर,
आरा, पटना, राजगृही, नालंदा, कुंडलपुर, पावापूरी, गणावा, गया, मधुवन–सम्मेदशिखरधाम फागण सुद
पांचम लगभगमां पहोंचशे.