Atmadharma magazine - Ank 158
(Year 14 - Vir Nirvana Samvat 2483, A.D. 1957)
(Devanagari transliteration).

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: मागशर: २४८३ : २३ :
जिनमंदिर सुवर्णकलशथी अतिशय शोभी रह्या.
जिनमंदिरना मूळ शिखरनी चारे बाजु नानी चार देरीओ छे, तेना उपर पण कलश तथा ध्वजारोहण
थयुं.
जिनमंदिरना नीचेना भागमां श्री सीमंधर भगवान, शांतिनाथ भगवान अने पद्मप्रभु भगवान
पूर्ववत् एम ने एम बिराजमान छे. तेमना उपर नवी सुंदर कला–भरेली शिखर तथा घूमट सहित आरसनी
वेदिका करवामां आवी छे; तेना उपर त्रण कळश तथा ध्वज चडाववामां आव्या छे. आ वेदिका थतां सीमंधरादि
भगवंतोना जिनमंदिरनी शोभा घणी ज वधी गई छे.
उत्सव दरमियान जिनमंदिर अनेकविध शणगारोथी अतिशय शोभतुं हतुं. उत्सव पूर्ण थतां शांतियज्ञ
थयो हतो. मंत्रजाप, शांतियज्ञ वगेरेमां पवित्रात्मा पू. बेनश्रीबेने पण भाग लीधो हतो.
शांतियज्ञ बाद नूतन रथमां बिराजमान करीने श्री जिनेन्द्रदेवनी महा अद्भुत रथयात्रा नीकळी हती...
महा अद्भुत भक्तिवाळी आ रथयात्रा कलकत्तानी रथयात्रानुं स्मरण करावती. नूतन रथमां जिनेन्द्र
भगवानने नीहाळी नीहाळीने भक्तजनो नाची ऊठता हता. सोनगढमां रथयात्रा माटे हालमां एक नवीन रथ
कराववामां आव्यो छे, रथ बहु ज सुशोभित कारीगरीवाळो छे, ने तेमां य ज्यारे भगवान बिराजमान थाय छे
त्यारे तो ते नानी गंधकूटी जेवो लागे छे. रथयात्रामां आ रथ पहेलवहेलो नीकळतो होवाथी भक्तोने विशेष
उल्लास हतो ने आश्चर्यकारी भक्ति करता हता. आ प्रतिष्ठा महोत्सवमां लगभग रूा. ४५०००–नी आवक थई
हती. जिनमंदिरमां कारीगरी वगेरेनुं केटलुंक काम हजी बाकी छे ते पण टूंक वखतमां थई जशे. आ जिनमंदिरनी
शोभा घणी ज अद्भुत बनी छे; ज्यारे आ जिनमंदिर बंधातुं त्यारे तेनी भव्यता जोईने भक्तोने मुळबिद्रीनुं
“त्रिभुवनतिलक चुडामणि (हजार थांभलावाळुं) जिनमंदिर याद आवतुं अने आ आपणुं सौराष्ट्रनुं
“त्रिभुवनतिलक चुडामणि” छे–एम भक्तजनो कहेता. आ जिन मंदिरनी शोभा जोतां तेने “सम्यक्त्वशिखर
चुडामणि” नाम आपवानुं मन थई जाय छे.
सम्यक्त्वना हेतुभूत आ ‘सम्यक्त्व–शिखर–चुडामणि’ अने तेमां बिराजमान सर्वज्ञभगवंतो जयवंत
वर्तो. सम्यक्त्वना महान प्रभावक श्री सद्गुरुदेव जयवंत वर्तो.
वैराग्य समाचार
एक खास कार्यकरनी सोनगढ – संस्थाने पडेली मोटी खोट

भाईश्री अमृतलाल नरसीभाई शेठ सुरेन्द्रनगरमां कारतक वद सातमना रोज हार्टफेईलथी अचानक
स्वर्गवास पाम्या. –आ वात सांभळतां ज मुमुक्षु भाई–बहेनोना हृदय हचमची जाय छे... गामेगामना
मुमुक्षुमंडळोमां आघातनी घेरी लागणी छवाई गई छे... अने सद्गत अमृतलालभाईनुं स्मरण थतां आजे
पण हृदय गद्गद थई जाय छे.
भाईश्री अमृतलालभाई छेल्ला दस–बार वर्षोथी पू. गुरुदेवना समागममां आवेला... पू. गुरुदेवना
सत्समागमथी तत्त्व समजवानो तेमने एवो रंग लागेलो के छेल्ला दसेक वर्षोथी तेओ लगभग सोनगढमां ज
रहेता. पू. गुरुदेव जे तत्त्व समजावे छे ते खूब खूब प्रचार पामे एवी तेमने खास भावना हती, –एटलुं ज
नहि पण ते माटे तेओ तन–मन–धनथी सर्व प्रकारे अथाग