हिंदुस्तानमां पावन पगला गुरुदेवना रे... हिंद जीवोनां जाग्या सुलटा (महा) भाग्य... आजे...(४)
गुरुदेवना विहारे भारत नाचशे रे... आव्यो आव्यो अद्भुत योगीराज... आजे...(५)
अनुपम मूर्ति साक्षात् गुरुदेव छे रे... अनुपम कार्यो करे जीवन मांही... आजे...(६)
भारत आंगण–आंगण तोरणो बंधाय छे रे... भव्य जीवोनां वृंदो ऊछळी जाय... आजे...(७)
शाश्वत तीर्थ दर्शने गुरु संचरे रे... एने हैडामांही घणी छे हाम... मारे दैवी... आजे...(८)
गुरुजीनो साथ मळवो बहु दोहीलो रे... महाभाग्ये मळ्यो गुरुजीनो साथ... आजे...(९)
तीर्थयात्रा गुरुजी संगे थशे रे... सेवकोना जन्म सफळ थाय... आजे...(१०)
कुमकुम पगले गुरुजी पधारता रे... आकाशे बहु देवदुंदुभी नाद... आजे...(११)
मंगलकारी चंदनथी गुरुचरणो पूजुं रे... हीरलेथी वधावुं गुरुदेव... आजे...(१२)
देशोदेशना सज्जनो गुरुजीने पूजशे रे... भक्तिभावे स्वागत रूडा थाय... आजे...(१३)
गुरुदेवनी न्यायवाणी अमर तपो रे... जैन शासनमां वर्तो जय जयकार... आजे...(१४)
वीतरागी मार्ग गुरुजी मारा स्थापता रे.....गुरुदेवनो वर्तो जय जयकार...आजे...(१५)
शाश्वतयात्रा शाश्वत तीरथराजनी रे... शाश्वत होजो गुरुदेवनो साथ... आजे...(१६)
तेने कोई बीजानी मददनी अपेक्षा नथी; तेमज दरेक जड परमाणु पण
तेना स्वभावथी परिपूर्ण–जडेश्वर भगवान–छे; आ रीते चेतन अने
जड दरेक पदार्थ स्वतंत्र अने पोताथी ज परिपूर्ण छे, कोई तत्त्व कोई
बीजा तत्त्वनो आश्रय मांगतुं नथी.–आम समजीने पोताना परिपूर्ण
आत्मानी श्रद्धा अने आश्रय करवो ने परनो आश्रय छोडवो ते
परमेश्वर थवानो पंथ छे.