Atmadharma magazine - Ank 158
(Year 14 - Vir Nirvana Samvat 2483, A.D. 1957)
(Devanagari transliteration).

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: मागशर: २४८३ : ५ :
शाश्वत तीर्थ सम्मेदशिखरजी धामनी यात्रा माटे
पू. गुरुदेवनो मंगल विहार
सिद्धिप्राप्त अनंत सिद्धभगवंतोने नमस्कार
सिद्धिसाधक अने सिद्धिपंथप्रदर्शक श्री सद्गुरुदेवने नमस्कार












आत्मानुं अंतिम ध्येय जे सिद्धपद, तेने अनंत जीवो प्राप्त करी चूकया छे; जे स्थानथी जीवो सिद्धपद प्राप्त
करे छे ते स्थानने सिद्धिधाम कहेवाय छे. श्री सम्मेदशिखरजी तीर्थ ए भारतनुं शाश्वत सिद्धिधाम छे, अनंता
तीर्थंकरो त्यांथी मुक्ति पाम्या छे ने पामशे. सिद्धपद–प्राप्तिनी भावनावाळा जीवोने सिद्धिधामनी यात्रानो भाव
पण जागे छे.
परम पूज्य गुरुदेव जेम आपणने सिद्धिनो मार्ग दर्शावे छे तेम शाश्वत सिद्धिधाम (सम्मेदशिखरजी)
पण देखाडो–एवी घणा भक्तजनोनी भावना हती, ने वारंवार ते माटे पू. गुरुदेवने विनंतीओ थती हती...
छेवटे एक मंगलदिने भक्तोनी ए भावना फळी ने पू. गुरुदेवे संघ सहित श्री सम्मेदशिखरजी धामनी यात्राए
पधारवानो स्वीकार कर्यो...आ शुभ संदेशथी भारतमां ठेरठेर हर्ष छवाई गयो.
कारतक सुद १२ ना रोज सुवर्णपुरना लाखेणा जिनमंदिरमां श्री नेमिनाथ भगवाननी वेदीप्रतिष्ठानो
भव्य महोत्सव उजवायो... अने तरत ज शाश्वत तीर्थराज सम्मेदशिखरजी धामने भेटवानी जोरदार तैयारीओ
थवा लागी... ज्यां जुओ त्यां बधाय भक्तजनो यात्रानी तैयारीमां ज मशगूल हता... बे दिवस तो झडपथी
चाल्या गया... ने शाश्वत तीर्थधाम प्रत्ये पुनित पगलां भरवानो मंगल दिन आवी पहोंच्यो.
कारतक सुद पूर्णिमा... रविवार... अष्टाह्निकानो मंगल दिन... आजे पू. गुरुदेवे सम्मेदशिखरजी धाम
प्रत्ये सोनगढथी मंगल विहार कर्यो...सवारमां पांच वागे पू. गुरुदेव सीमंधरनाथ भगवानना दर्शन करवा
पधार्या... जाणे वहालो पुत्र पिताजी पासे यात्रा माटे विदाय लेवा आव्यो... एवुं ए पिता–पुत्रनुं मिलन हतुं.
गुरुदेव हाथ जोडीने भावभीना चित्ते सीमंधर