Atmadharma magazine - Ank 159
(Year 14 - Vir Nirvana Samvat 2483, A.D. 1957)
(Devanagari transliteration).

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: पोष: २४८३ आत्मधर्म : ९ :
प्रदेश छे, गीच जंगल अने झाडीवाळो प्रदेश छे. गुजरात देशनो विहार पूरो करीने हवे अमे महाराष्ट्र देशमां
प्रवेश कर्यो. सम्मेदशिखरजी तीर्थधामनी यात्रा माटे पू. गुरुदेव साथे साथे वनजंगलना प्रदेशोमांथी विचरतां
विचरतां क्यारेक क्यारेक अमने आहारदाननो पण लाभ मळतो, ने तेथी आनंद थतो.
अहीं तलासरीना वनमां फरवा जतां पू. गुरुदेवने वैराग्यनी ने ध्याननी भावनाओ जागी हती. सांजे
पू. गुरुदेव अमने भक्तजनोने अहींनुं वन बताववा तेडी गया हता ने गुरुदेवनी साथे वनमां बेसीने
वनवासी मुनिवरोनी स्तुति करी हती. आजे कुंदकुंद प्रभुनी आचार्यपदवीनो दिवस अने वनमां मुनिओनी
स्तुतिनो प्रसंग बनतां सौने आनंद थयो हतो. (आ प्रसंगनुं विशेष वर्णन हवे पछी आवशे.)
भीमंडी अने शीवनगर
मागसर वद ९–पू. गुरुदेव कासा गामे पधार्या ने अहीं शिक्षणशिबिरमां २०० मराठी शिक्षको वच्चे पू.
गरुदेवे एक वृक्ष नीचे, सात व्यसनना त्याग बाबत सरस प्रवचन कर्युं. बीजे दिवसे कासाथी मनोर आव्या.
मनोरथी खुपरी गामे थईने सांजे अंबाडी गामे आव्या. अहींना एकांत–शांत वातावरणमां पू. गुरुदेव
“एकाकी विचरतो......” ईत्यादि भावना बोल्या हता. मागसर वद १२ना रोज पू. गुरुदेव भीमंडी पधार्या.
भक्तोए उमंगपूर्वक स्वागत कर्युं. मुंबईथी पण ५०० जेटला भक्तो प्रवचन सांभळवा आव्या हता... सांजे
भीमंडीथी विहार करीने थाणा पधार्या. थाणाना श्वेतांबर मंदिरमां श्री सीमंधर भगवाननी मूर्ति पण छे.
मागसर वद तेरसे पू. गुरुदेव भीमंडीथी शीव पधार्या... वच्चे घाटकोपर, कुरला, मुलन्द वगेरे स्थळे
सेंकडो भक्तजनोए उमंगथी गुरुदेवनुं स्वागत कर्युं. शीवमां भव्य स्वागत थयुं ने मंगल प्रवचनमां पू. गुरुदेवे
“शिवनगरीमां प्रदेश कई रीते थाय” ते समजाव्युं.
मुंबईनुं महावीरनगर
मागसर वद चौदसना रोज शीवथी विहार करीने पू. गुरुदेव मुंबई शहेरमां पधार्या... मुंबईना हजारो
भक्तोए घणा उमंगथी गुरुदेवनुं भव्य स्वागत कर्युं. मुंबईनी अटारीओ गुरुदेवना दर्शन माटे ऊभराई गई
हती... लाखो लोकोए उत्सुकताथी गुरुदेवना दर्शन कर्या. आजे मुंबई नगरी ठेर ठेर शणगारथी घणी शोभती
हती. पू. गुरुदेवना प्रवचनमां सवारे–बपोरे सात–आठ हजार श्रोताओ आवता..पू. गुरुदेव मुंबईमां १७
दिवस रह्या ते दरमियान मुंबईनी जनताए जे उत्साहथी लाभ लीधो छे ने जे प्रभावना थई छे ते जोईने
लोको चकित थई जता हता. मुम्मादेवी प्लोटमां महावीरनगरमां प्रवचनमंडप हतो, तेनुं प्रवचनसभा वखतनुं
द्रश्य अद्भुत लागतुं. अहीं पांच दिगंबर जिनमंदिर (भूलेश्वर, कालबादेवी, गुलालवाडी तथा चोपाटी उपर
काचना बे मंदिर) छे त्यां पू. गुरुदेव दर्शन करवा पधार्या हता ने हीरा–माणेकथी जिनेन्द्र भगवानने वधाव्या
हता. अहीं झवेरी बजार तरफ नवुं दि. जिनमंदिर पू. गुरुदेवना प्रभावे बंधाई रह्युं छे; मुंबईना प्रमुखश्रीए
आ जिनमंदिरना पायामां पू. गुरुदेवना पावन हस्ते शिलारोपण कराव्युं हतुं... मुंबईमां पू. गुरुदेवनुं जे भव्य
स्वागत थयुं तेनी प्रशंसनीय नोंध मुंबईना अनेक पत्रकारोए लीधी हती. श्री जयपुरना संघ तरफथी
(प्रतिष्ठित ३०० व्यक्तिओनी सही करेल) आमंत्रण पत्र आव्युं हतुं तेमां पू. गुरुदेवने जयपुरमां चोमासुं
रहेवा माटे विनति करवामां आवी हती. आ सिवाय इंदोर, कलकत्ता, दिल्ही वगेरे अनेक स्थळेथी पण आमंत्रण
आव्या हता. अहींना म्युझीयममां श्री बाहुबली भगवानना (१२०० वर्ष पुराणा) प्रतिमाजी छे तथा बीजा
पण अनेक प्रतिमाओ छे. मुंबईमां जिनमंदिरोमां सोनगढना भक्तजनोए धामधूमपूर्वक महान पूजन भक्ति
वगेरे कर्या हता, ने पूजनादिनो उत्साह जोईने मुंबईना भक्तजनोने आश्चर्य अने आनंद थया हता. पू.
गुरुदेव ८–१० हजार श्रोताओनी सभामां ज्यारे हलकपूर्वक गदगदवाणीथी भगवाननी भक्ति वगेरेनुं वर्णन
करता त्यारे सभा एकदम स्तब्ध बनी जती हती ने वैराग्यनी मस्ती जामती. गुरुदेवना आगमनथी आ
मोहमयी–नगरी जाणे के धर्मनगरी बनी गई हती. रविवारे श्री जिनेन्द्र भगवाननी महान् भव्य रथयात्रा
घणा उल्लास अने भक्तिपूर्वक नीकळी हती.
मोटरद्वारा यात्रा–प्रयाण
मुंबईमां १७ दिवस रहीने, पोष सुद पूर्णिमाना