: १० : आत्मधर्म : पोष: २४८३
शुभदिने पू. गुरुदेवे मोटरद्वारा संघसहित तीर्थयात्रा माटे मंगल प्रस्थान कर्युं छे. गामेगाममां जैनधर्मनी महान
प्रभावना करता करता शाश्वत सिद्धिधाम श्री सम्मेदशिखरजीनी यात्रा अर्थे भक्तोना मोटा संघ सहित पू.
गुरुदेव विचरी रह्या छे ने सिद्धिनो पंथ प्रसिद्ध करता जाय छे. गुरुदेवनो आ यात्राप्रवास भारतभरमां जैन
धर्मनो जयजयकार फेलावो.
मुंबईथी पू. गुरुदेव भीमंडी पधार्या...त्यां संघ सहित पू. गुरुदेवनुं भव्य स्वागत थयुं... सांजे भीमंडीथी
गजपंथा आव्या... पोष वद एकमे गजपंथा तीर्थनी यात्रा करी. अहींथी सात बलभद्र तथा अनेक मुनिवरो
मुक्ति पाम्या छे. पर्वत उपर ८ फूटना भव्य–प्रतिमाजी पार्श्वनाथ भगवानना छे, ते उपरांत पंचपरमेष्ठी वगेरेना
प्रतिमा पण छे. सात बलभद्रना चरणकमळ पण छे. त्यां उल्लासपूर्वक जात्रा करीने संघ मांगीतुंगी आव्यो.
मांगीतुंगी: नव करोड मुनिनुं मुक्तिधाम
मांगीतुंगीमां श्री रामचंद्रजी, हनुमानजी तथा ९९ करोड मुनिओ मुक्ति पाम्या छे. पर्वतनुं चढाण घणुं
अघरुं छे. पोष वद बीजे गुरुदेवे संघसहित यात्रा करी. पर्वत उपर घणा जूना सुंदर उपशांत प्रतिमाओ बिराजे
छे. मांगी अने तुंगी एम जुदा जुदा बे शिखर छे. अहीं शेठ श्री गजराजजी गंगवाल पण आवेला, ने तेमणे
पू. गुरुदेवना स्वागतनुं भाषण कर्युं हतुं तथा त्यांनी ट्रस्टकमिटि तरफथी पू. गुरुदेवने एक मानपत्र आप्युं हतुं.
मांगीतुंगीना फंड माटे अपील थतां चारेक हजार रूा. नुं फंड थयुं हतुं.
पोष वद त्रीजे पू. गुरुदेवना प्रवचन बाद भगवाननी रथयात्रा नीकळी हती.
मांगीतुंगीथी (वद चोथे) पू. गुरुदेव धूलिया गामे पधार्यां, भक्तोए उल्लासथी स्वागत कर्युं हतुं ने
प्रवचनमां अढी हजार जेटला श्रोताओए लाभ लीधो हतो.
चोराशी फूट ऊंचा प्रतिमा
धूलीयाथी प्रस्थान करीने पू. गुरुदेव संघसहित श्री बडवानी तीर्थधाम पधार्या हता. मागसर वद छठ्ठना
रोज तीर्थयात्रा थई हती. आ बडवानी तीर्थमां श्री आदिनाथ भगवानना लगभग ८४ फूट ऊंचा (बावन
गजा) खड्गासन प्रतिमा पर्वतमां ज कोतरेला छे, ते अद्भुत छे ने एशियाभरमां आ प्रतिमा सौथी मोटा छे.
पर्वतनी तळेटीमां पण अनेक जिनमंदिरो छे. आ पर्वत उपरथी श्री ईन्द्रजीत, कुंभकर्ण अने करोडो मुनिवरो
मुक्ति पाम्या छे. आ उपरांत आ पर्वत उपर श्री कुंदकुंदाचार्यदेवना खड्गासन प्रतिमाजी छे, जेओ
सीमंधर भगवान सन्मुख (पूर्व दिशामां) हाथ जोडीने ऊभा छे. आ द्रश्य जोईने पू. गुरुदेवने अने सौ
भक्तजनोने घणो आह्लाद थयो. अहीं गुरुदेवे भावपूर्वक श्री जिनेन्द्र भगवाननो अभिषेक कर्यो हतो;
गुरुदेवना हस्ते जिनेन्द्रदेवना अभिषेकनुं द्रश्य देखीने सौ भक्तोने घणो आनंद थयो हतो. बपोरे पू. गुरुदेवे
गाममां प्रवचन कर्युं हतुं.
बडवानीथी पू. गुरुदेव पावागीरी–ऊन पधार्या हता. अहींथी सुवर्णभद्रादि अनेक मुनिओ मुक्ति पाम्या
छे. भव्य जिनमंदिरमां शांतिनाथ–कुंथुनाथ–अरनाथ भगवानना घणा मोटा (१५ फूटना) प्रतिमाजी अतिशय
उपशांत मुद्रामां खड्गासने ध्यानस्थ बिराजे छे. तेनी घणा उल्लासथी यात्रा करी.
ईन्दोरमां प्रवेश
मागसर वद ९ना रोज पू. गुरुदेव खंडवा शहेरमां पधार्या... अहींना भक्तजनोए घणा ज उल्लासथी
गुरुदेवनुं भव्य स्वागत कर्युं, ने आखा संघनी व्यवस्था घणा प्रेमपूर्वक करी. व्याख्यानमां ३–४ हजार श्रोताओ
आवता हता. भक्ति, रात्रिचर्चा वगेरेमां पण घणा लोकोए उत्साहथी भाग लीधो हतो. हवे अहींथी
सिद्धवरकुट थईने पू. गुरुदेव इंदोर ता. २७मीए पधारशे.
[आ प्रमाणे गुरुदेव संघसहित धर्मप्रभावना करता करता
तीर्थधामोनी यात्रा उल्लासपूर्वक करता जाय छे.]