समयसार के महान् व्याख्याता सुकविशिरोमणि स्वर्गीय पं० बनारसीदासजी की इस जीवन–भूमि
अभिनन्दन करते हुए हमको अतिशय गौरव का अनुभव हो रहा हैं। हम लोग बहुत दिन से सोगनढ़
की कोई सीमा नहीं रही है।
विज्ञान के इस युग में आपने जो चमत्कार दिखाया है वह महान् है क्योंकि वह चमत्कार किसी
होकर ही, शत या सहस्र नहीं किन्तु कोटि–कोटि आत्माएँ आपसे प्रकाश और पथ–प्रदर्शन प्राप्त कर
अपना जीवन धन्य मान रही हैं। सभी प्रकार के अज्ञान और मिथ्यात्व के विरुद्ध आपने अपने जीवन के
प्रारम्भ से ही अभियान किया है। आप प्राणी मात्र को सहज स्वाभाविक ज्ञान दर्शन से चमत्कृत और
सुख–सम्पन्न देखना चाहते हैं, तथा प्रयत्न करते हैं, यह आपकी लोकोपकारिणी वीतराग वृत्ति का ही
स्वाभाविक परिणाम है।
मङ्गलमय महावीर, गौतमगणी और कुन्दकुन्द सद्रश महर्षियों की वाणी का आजीवन रसपान
आत्मस्वरुप में सहायक लोकोपकारी रचनात्मक कार्यों में ही अपने समय का सदुपयोग किया है,
जिसके फलस्वरुप आपके तत्त्वावधान में तीन लाख पुस्तकों का प्रकाशन,