Atmadharma magazine - Ank 161
(Year 14 - Vir Nirvana Samvat 2483, A.D. 1957)
(Devanagari transliteration).

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परमपूनित तीर्थधाम श्री सम्मेदशिखरजी
अभिनंदन पत्र अर्पण करती वखते शेठ सुबोधकुमारजीए कह्युं हतुं के–“पू. महाराजश्री अहीं पधार्या ते अमारां
सौभाग्य छे; तेमनुं प्रवचन सांभळतां आत्मानो विषय जे जटील लागतो हतो ते अमने सुगम थई गयो.
स्वामीजी पधारतां अमारो टाईम कयां चाल्यो गयो ते अमने खबर न पडी, स्वामीजी अहीं वधारे टाईम रहे एवी
अमारी हार्दिक अभिलाषा छे.”
पटना – सुदर्शनमोक्षधाम
(ता. २७) सवारमां बाहुबली भगवानना दर्शन करीने गुरुदेव पटना तरफ पधार्या. अमदावाद मुंबईथी
स्पेशीअल ट्रेईन द्वारा रवान थयेल संघ पण अहीं पटणा आवी गयो. गुलझारीबाग जिनमंदिरमां दर्शन करीने
गुरुदेवे हीरा–माणेकनो अर्घ चडाव्यो. त्यारबाद थोडे दूर श्री सुदर्शन (शेठ) मुनिराजनी मोक्षभूमि छे तेनां दर्शन
करवा पधार्या. सौ भक्तजनो पण भक्ति गातां गातां गुरुदेवनी साथे चाल्या, निर्वाणभूमिमां श्री सुदर्शन–
भगवानना चरणकमळ छे त्यां जईने ए द्रढ ब्रह्मचारी वैराग्यवंत संतना चरणनी पूजा करी.....पूजन बाद घणी
भक्ति थई.
आवो आवोजी..... हां....हां.....
आवो आवोजी..... जैन जग सार,
सुदर्शन मुनि मोक्ष गये.....
धन्य धन्य ‘वणिककुलभूषण’
द्रढ ब्रह्मचारी नेता..............
– इत्यादि स्तवनो गवाया हता.
राजगीरी धामां
बपोरे पटनाथी रवाना थईने संघ राजगीरी पहोंची गयो....सांजे पांच वागे गुरुदेव पधारतां सौए
उमंगपूर्वक स्वागत कर्युं. रात्रे जिनमंदिरमां घणी उमंगभरी भक्ति थई हती; तेमां गुरुदेवे समवसरणनुं स्तवन
गवडाव्युं हतुं.
पंचशैलपुरनी यात्राए
ता. २८ (माह वद १४) ना रोज सवारमां संघ सहित गुरुदेव पंचशैलपुर तीर्थ यात्राए पधार्या. आ
पंचशैलपुर (पंच पहाडी) तीर्थनुं वर्णन अने महिमा श्री षट्खंडागम–धवला जेवा शास्त्रोमां पण आवे छे. अहीं
पांच सुंदर रळियामणां पर्वतो छे; तेमां
फागणः २४८३
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