Atmadharma magazine - Ank 161
(Year 14 - Vir Nirvana Samvat 2483, A.D. 1957)
(Devanagari transliteration).

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गुरुदेव साथे दर्शन करता हता.....ते वखते असल जात्रानुं वातावरण बनी गयुं हतुं. एक ठेकाणे जलमंदिर जेवुं
मंदिर आव्युं, त्यां पूल उपरथी पसार थतां थतां भक्तो गाता हता के–
हिलमिल कर सब भक्तो चालो...
गुरुवरजीकी साथमें
जिनमंदिरना दर्शन करीए.........
गुरुजीकी साथमें
नंदीश्वर – मंदिरना दर्शन
आगळ जतां नंदीश्वर–मंदिर आव्युं.... अहीं नंदीश्वरना बावन जिनमंदिरोनी बहु सरस रचना छे; तेना दर्शनथी
पू. गुरुदेव अने सौ भक्तजनो बहु प्रसन्न थया. गुरुदेव तो कहे के–“जुओ आ नंदीश्वरनी रचना, ध्यान राखीने जोई
लेजो....आपणे सोनगढमां करवुं होय तो काम आवे.” आ नंदीश्वरनी रचना जोतां ज भक्तो धून गावा मांडयां–
हिलमिल कर सब भक्तो चालो.....
नंदीश्वरके धाममें
नंदीश्वरके धाममें....नंदी....नंदी.....
हां गुरुजीकी साथमें
–गुरुदेव आ नंदीश्वरधामनुं अवलोकन करता करता तेनी प्रदक्षिणा करता हता ने भक्तजनो पण धून
गातां गातां गुरुदेवनी साथे प्रदक्षिणा करता हता...प्रदक्षिणा बाद आनंदथी दर्शन करीने सौए अर्घ चडाव्यो. बीजा
एक जिनमंदिरमां श्री सम्मेदशिखरजी धामनी सरस रचना हती; त्यां पण दर्शन कर्या. अनेक जिनमंदिरोना दर्शन
करीने पू. गुरुदेव ब्र. चंदाबाईना जैन बालाश्रममां पधार्या. अहीं गुरुदेवनो उतारो हतो.
बपोरे, शांतिनाथ भगवाननुं मोटुं मंदिर छे त्यां पू. गुरुदेवनुं प्रवचन थयुं हतुं. प्रवचनमां अहींनी
जनताए घणा प्रेमथी लाभ लीधो हतो......
बाहुबली भगवान
बालाश्रममां श्री बाहुबलि भगवानना घणा सुंदर भाववाही प्रतिमाजी (लगभग १प फूट ऊंचा) बिराजे
छे. तेनी सन्मुख एक सुंदर मानस्तंभ छे. आ मानस्तंभमां नीचे, वच्चे अने ऊंचे–एम त्रण स्थळे प्रतिमाजी छे.
एक तरफ बाहुबलि भगवान अने तेनी सामे मानस्तंभमां श्री आदिनाथ भगवान,–ए रीते पिता–पुत्र
एकबीजानी सन्मुख बहु शोभी रह्या छे. प्रवचन बाद गुरुदेव बाहुबलिनी भक्ति करवा पधार्या हता....
धन्य मुनिश्वर आतमहितमें
छोड दिया परिवार........
कि तुमने छोडा सब घरबार....
धन छोडा, वैभव सब छोडा,
समझा जगत असार......
कि तुमने छोड दिया संसार......
–इत्यादि वैराग्यभरेली भक्तिओ थई हती.....बाहुबलि भगवाननी मुद्रा खूब ज भाववाही छे...दर्शन
करतां ए मुद्राने वारंवार नीहाळ्‌या करवानुं मन थाय छे. अहीं भक्तजनोए बाहुबली भगवाननो मस्तकाभिषेक
पण घणा भक्तिभावथी कर्यो हतो.
बालाश्रमां सन्मान – समारंभ
सांजे बालाश्रमनी बहेनो तरफथी गुरुदेवना सन्मान अने अभिनंदननो मेळावडो थयो हतो तेमां ब्र. पं.
चंदाबाई तेमज आश्रमनी बहेनो उपस्थित हता; शरूआतमां आश्रमनी बाळाओए स्वागतगीत गाया....
त्यारबाद पुष्पमाळा अर्पण करी...ब्र. चंदाबाईए पण गुरुदेव प्रत्ये घणो भाव बताव्यो हतो अने गुरुदेव अहीं
पधारवाथी तेओ घणा खुशी थया हता. आ प्रसंगे गुरुदेवे सोनगढना ब्र. आश्रम वगेरे संबंधी केटलोक खास
परिचय आप्यो हतो....गुरुदेवना मुखेथी ए परिचय सांभळीने ब्र. चंदाबाई वगेरे खुशी थया हता, ने तेमणे पू.
बेनश्रीबेननुं पण सन्मान कर्युं हतुं.
गुरुदेवे सांजे बालाश्रमनी सामेना जिनमंदिरोना दर्शन कर्या हता.
अभनदन पत्र
रात्रे चर्चा बाद पू. गुरुदेवने अहींना संघ तरफथी अभिनंदन पत्र अर्पण करवामां आव्युं हतुं...ने सौ
जनताए गुरुदेव प्रत्ये हार्दिक स्नेह व्यक्त कर्यो हतो.
ः ८ः
आत्मधर्मः १६१