सम्मेदशिखरजी तीर्थ उपरथी आ चोवीसीना २० तीर्थंकर भगवंतो तेमज करोडो मुनिवरो मोक्ष पाम्या छे; उपर २प
टूंको छे. तेमां भगवानना चरणकमळ बिराजे छे. पहेली टूंके शरूआतमां पू. गुरुदेवे एक स्तवन गवडाव्युं हतुं.....तेमां
वच्चे कह्युं केः जुओ, अहींथी अनंता तीर्थंकरो ने मुनिओ मोक्ष पधार्या छे, ते अनंता सिद्ध भगवंतो अत्यारे
उपर बिराजी रह्या छे.....उपर पंक्तिमां अनंत सिद्ध भगवंतो बिराजे छे, तेनां अहीं स्मरण थाय छे.....
कांकरीए अनंता जीवो मोक्ष गया छे, पण नजीकना काळने हिसाबे वर्तमान चोवीसीमां श्री कुंथुनाथ भगवान अहींथी
मोक्ष गया छे. अनंता सिद्ध भगवंतो अहीं आपणा शीर उपर बिराजे छे; मोक्षपद जगतमां सौथी श्रेष्ठ छे तेथी तेओ
लोकमां सौथी श्रेष्ठ–ऊंचा स्थाने बिराजे छे. इत्यादि घणा घणा प्रकारे गुरुदेव सिद्ध भगवंतोनो महिमा भक्तजनोने
समजावता हता....ने “आवा सिद्धभगवंतोने तमारा हृदयमां स्थापीने तेमनुं ध्यान करो.” एवी प्रेरणा भक्तोना
हृदयमां जगाडता हता. त्यारबाद पू. बेनश्रीबेने पण नवा नवा स्तवनो द्वारा अद्भुत भक्ति करावी हती. तीर्थधाम
हजारो भक्तोथी उभराई गयुं हतुं.....ने चारे कोरना रस्ता यात्राळुओथी छवाई गया हता.
चरणकमळनो भावपूर्वक अभिषेक कर्यो.....ने पछी “हुं एक शुद्ध सदा अरूपी.....ज्ञानदर्शनमय खरे” ए धून
बोल्या....तेमज “ अपूर्व अवसर” नी केटलीक गाथाओ घणा ज उपशांत भावथी बोल्या हता..... ते वखतनुं
वातावरण भक्तिथी ने उपशांत भावनाथी छवाई गयुं हतुं.
शाश्वत तीर्थधामनी यात्रा पूर्ण थई हती.....