तीर्थराज श्री सम्मेदाचलकी बन्दना करनेके पवित्र संकल्पको लेकर आप सौराष्ट्रसे ५००
धार्मिक बन्धुओं और बहिनोंके साथ मार्गमें आनेवाले अनेक सिद्धक्षेत्रों व दूसरे तीर्थोंकी
बन्दना करते हुए डालमियानगर पधारे हैं। हमने आपकी लोक–कल्याणकारिणी अमृतमयी
अध्यात्मवाणीका रसास्वादन किया है। फलस्वरूप आज इस मंगलबेलामें हम सब आपके
प्रति बहुमान प्रकट करते हुए अपनेको धन्य अनुभव करते हैं।
कुन्दकुन्दप्रणीत विश्वभारती के अनुपम रत्न श्री समयसार आदि ग्रन्थरत्नोंके स्वाध्याय
और मनन से आपने प्राप्त की हैं। परिणामस्वरूप आपको अपने प्रपञ्चबहुल जीवनका
परित्याग कर निश्चित ध्येय की सिद्धिके लिए ऐसी करवट लेनी पडी़ हैं जो मोहग्रस्त
संसारी प्राणियोंके लिए अनुपम उदाहरणके रूपमें सदा प्रसिद्ध रहेगी।
तरहसे अनुभव करते है कि रत्नत्रयपूत इस मार्ग पर चले बिना यह संसारी प्राणी मोक्षका
अधिकारी नहीं हो सकता।
प्रभावक आध्यात्मिक प्रवचनों–द्वारा इन संसारी प्राणियोंको निरूपधि आत्मतत्त्वका
दिग्दर्शन कराते हुए यदा कदा यत्र तत्र भ्रमण करते रहते हैं। आपकी यह परम
कल्याणकारिणी वृत्ति अभिनन्दनीय हैं।