Atmadharma magazine - Ank 161
(Year 14 - Vir Nirvana Samvat 2483, A.D. 1957)
(Devanagari transliteration).

< Previous Page   Next Page >


PDF/HTML Page 3 of 25

background image
विद्यार्थीओ माटे अभ्यासनी सुंदर सगवड
श्री जैन विद्यार्थीगृह, सोनगढ (सौराष्ट्र)
उपरोक्त बोर्डिंग छेल्ला प वर्षथी चाले छे. आ संस्थामां,
जैनधर्मना विद्यार्थीओ, के जेओनी उमर, ११ वर्ष अने तेथी वधु होय,
अने जेओ, गुजराती पमुं धोरण के तेथी उपरना गुजराती के अंग्रेजी
धोरणोमां अभ्यास करता होय, तेमने दाखल करवामां आवे छे.
मासिक लवाजम पूरी फीना रूा. २प तथा ओछी फीना रूा.
१प लेवामां आवे छे.
अहीं मेट्रीक (एस. एस. सी.) सुधीना अभ्यास माटे
हाईस्कुल छे.
संस्थामां रहेता विद्यार्थीओने, व्यावहारिक केळवणी
उपरांत, धार्मिक अभ्यासनो, तथा पूज्य आध्यात्मिक संत ‘श्री
कानजी स्वामी’ ना व्याख्यान–श्रवणनो, अपूर्व लाभ मळे तेम छे.
अहींनी आबोहवा सूकी, खुशनुमा तथा आरोग्यप्रद छे.
हाल, संस्थानुं स्वतंत्र नवुं, सुंदर, हवा उजास तथा
सगवडतावाळुं मकान बंधाई रह्युं छे, जे ३–४ मासमां पूरुं थशे.
संस्थानुं नवुं सत्र (टर्म) ता. १प मी जुन आसपास शरू
थाय छे.
संस्थामां निश्चित संख्यामां ज विद्यार्थीओने दाखल
करवाना छे.
तो जे विद्यार्थीओने दाखल थवा ईच्छा होय तेमणे
उपरना सरनामे रूा. ०–२–० नी पोष्टनी टीकीटो बीडी संस्थाना
प्रवेशपत्र तथा धाराधोरण अने नियमो ता. ३०–४–प७ सुधीमां
मंगावी भरी ता. २०–प–प७ सुधीमां परत मोकली आपवां.
ली. मंत्रीओ
श्री जैन विद्यार्थीगृह
सोनगढ (सौराष्ट्र)
आत्मधर्मना ग्राहकोने
आ “आत्मधर्म” नुं प्रकाशन आनंद प्रेस–भावनगरथी
थाय छे. अत्यार सुधी तेनुं प्रकाशन वल्लभविद्यानगरथी थतुं तेने
बदले हवेथी भावनगरथी थशे अने व्यवस्था पण त्यांथी थशे; माटे
व्यवस्था बाबतनो पत्रव्यवहार हवेथी नीचेना सरनामे करवोः–
आनंद प्रेस – भावनगर
ज्ञान दीवडा
ज्ञानने अंतर्मुख करीने आत्मामां
जेणे प्रकाश कर्यो.......ज्ञानना दीवडाथी
आत्माने प्रकाशित कर्यो ते जीव खरेखर
‘धर्म–दीवाकर’ छे– ते ज ‘ज्ञानदीवाकर’ छे;
तेने आत्माना असंख्य प्रदेशे ज्ञानदीवडा
प्रगटी गया छे अने अज्ञान–अंधकारनो नाश
थई गयो छे. हजी तो जेने ज्ञानप्रकाशी
आत्मानुं भान पण नथी, आत्मामां
ज्ञानदीवडो प्रगटाव्यो नथी ने अज्ञाननुं
अंधारुं टाळ्‌युं नथी ते ‘धर्मदीवाकर’ शेनो?
चिदानंदतत्त्वमां सम्यक्श्रद्धानी चीनगारीवडे
जेमणे अतीन्द्रिय ज्ञानथी झगमगता दीवडा
प्रगटाव्या एवा धर्मात्मा ज खरेखरा
धर्मदीवाकर छे.
रजीस्ट्रेशन ओफ न्युस पेपर्स
(सन्टल)रूल्स १९प६’नअन्वय
“आत्मधर्म” संबंधमां नीचेनी
विगतो प्रगट करवामां आवे छे.
१ प्रसिद्धि स्थळ –आनंद प्रेस, भावनगर
२ प्रसिद्धि क्रम– दरेक महिनानी वद तेरस
३ मुद्रकनुं नाम– श्री हरिलाल देवचंद शेठ
कया देशना – भारतीय
ठेकाणुं–आनंद प्रीन्टींग प्रेस–भावनगर
४ प्रकाशकनुं नाम– श्री जैन स्वाध्याय
मंदिर ट्रस्ट सोनगढ वती हरिलाल
देवचंद शेठ–भावनगर
कया देशना– भारतीय
ठेकाणुं – आनंद प्रेस–भावनगर
प तंत्रीनुं नाम–रामजी माणेकचंद दोशी
कया देशना–भारतीय
ठेकाणुं–जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट
६ सामयिकना मालिकनुं नाम–
जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट–सोनगढ
अमे आथी जाहेर करीए छीए के
उपर आपेली विगतो अमारी जाण अने
मान्यता मुजब बरोबर छे.
ता. २०–४–प७
सही
रामजी माणेकचंद दोशी
वार्षिक लवाजम रूपिया त्रणःःः छूटक नकल चार आना