Atmadharma magazine - Ank 161
(Year 14 - Vir Nirvana Samvat 2483, A.D. 1957)
(Devanagari transliteration).

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पू. गुरुदेवनो मंगल–प्रवास
घणा उल्लासपूर्वक शाश्वत तीर्थधामोनी यात्रा
परमपूज्य गुरुदेव पवित्र तीर्थधामोनी यात्रा करता करता अने
जैनधर्मनी महान प्रभावना करता करता संघसहित विचरी रह्या छे. पू. गुरुदेवनी
साथे आनंद–मंगल अने उल्लासपूर्वक संघ विचरी रह्यो छे. महान तीर्थधामोनी
यात्रा करतां पू. गुरुदेवने घणी प्रसन्नता थई छे ने तेओश्री वारंवार भक्तिभर्या
उद्गारो काढे छे.
ः लेखांक – ३ः
बनारस – काशी
अनंत तीर्थंकरोना जन्मधामथी पावन थयेली शाश्वती अयोध्यानगरीनी यात्रा करीने, ता. २२–२–प७ ना
रोज पू. गुरुदेव बनारस (काशी) पधार्या. बनारस ते श्री पार्श्वनाथ–सुपार्श्वनाथ वगेरे भगवंतोनुं जन्मधाम छे.
अहीं जैनोना २प–३० ज घर छे. गुरुदेव पधारतां पं. कैलासचंद्रजी सिद्धांतशास्त्र, पं. फूलचंदजी सिद्धांतशास्त्री, प्रो.
खुशालचंद्रजी वगेरे विद्वान भाईओए
फागणः २४८३ ः पः