Atmadharma magazine - Ank 163
(Year 14 - Vir Nirvana Samvat 2483, A.D. 1957)
(Devanagari transliteration).

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: वैशाख : २४८३ आत्मधर्म : ११ :
अनेकान्तमूर्ति भगवान आत्मानी
साधारण–असाधारण–साधारणासाधारण धर्मत्वशक्ति
[२६]
ज्ञानस्वरूप आत्मानी शक्तिओनुं वर्णन चाले छे. पचीस शक्तिओ वर्णवाई गई छे, हवे छवीसमी
शक्ति कहेवाय छे. “स्व–परना समान, असमान, अने समान–असमान एवा त्रण प्रकारना भावोना
धारणस्वरूप साधारण–असाधारण–साधारणासाधारण–धर्मत्व शक्ति छे.”
आत्मामां अनंत धर्मो छे, पण ते बधा एक सरखा नथी; तेमां केटलाक साधारण छे, केटलाक असाधारण
छे ने केटलाक साधारण–असाधारण छे; ए रीते त्रण प्रकारना धर्मो छे; ते त्रणे प्रकारना धर्मोने धारण करवानी
आत्मामां शक्ति छे. ते शक्तिनुं नाम ‘साधारण–असाधारण–साधारणासाधारण धर्मत्व शक्ति’ छे.
साधारण धर्म एटले शुं?
–जे धर्म जीवमां होय ने जीव सिवायना बीजा द्रव्योमां पण होय ते साधारण धर्म छे,–जेमके
अस्तित्वधर्म जीव तेमज अजीव समस्त द्रव्योमां छे तेथी ते साधारण धर्म अथवा सामान्य गुण छे.
असाधारणधर्म एटले शुं?
–के जे जे धर्म जीवमां ज होय, ने जीव सिवायना बीजा कोई पदार्थमां न होय ते जीवनो असाधारण धर्म
छे; जेमके ज्ञानधर्म जीवमां ज छे, ने जीव सिवायना बीजा कोई द्रव्योमां नथी तेथी ते जीवनो असाधारण धर्म
अथवा विशेष गुण छे.
त्रीजो प्रकार साधारण–असाधारण धर्म छे, एटले शुं?
–के जीवनो धर्म बीजा केटलाक द्रव्यो साथे समान होय ने केटलाक साथे असमान होय, तेने साधारण–
असाधारण धर्म कहेवाय छे. जेमके जीवमां अमूर्तत्वधर्म छे ते आकाश वगेरेमां पण छे तेथी आकाश वगेरेनी
अपेक्षाए ते साधारण छे, ने पुद्गलमां अमूर्तपणुं नथी तेथी पुद्गलनी अपेक्षाए ते असाधारण छे, ए रीते
अमूर्तपणुं ते जीवनो साधारण–असाधारण धर्म छे.
आ रीते त्रण प्रकारना धर्मो जीवमां एक साथे छे. धर्मो तो अनंत छे, पण आ त्रण प्रकारमां ते बधा
धर्मो समाई जाय छे.
आत्मा छे? – के हा; आत्मा पण छे अने आत्मा सिवायना बीजा पदार्थो पण छे. होवापणुं एटले के