Atmadharma magazine - Ank 163
(Year 14 - Vir Nirvana Samvat 2483, A.D. 1957)
(Devanagari transliteration).

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वर्ष चौदमुं सम्पादक माह
अंक चोथो रामजी माणेकचंद दोशी २४८३
भारतना अनेक तीर्थधामोनी
मंगल यात्रा करीने
पूज्य गुरुदेव श्री कानजीस्वामीनुं
सोनगढमां पुनरागमन
––भक्तजनोए करेलुं भावभीनुं भव्य स्वागत––

अत्यंत भक्ति अने उमळकापूर्वक, लगभग प०० उपरांत भक्तजनोना संघसहित, भारतना शाश्वत
तीर्थराज श्री सम्मेदशिखरजी धाम अने बीजा अनेक तीर्थधामोनी पवित्र यात्रा करीने, परम पूज्य सद्गुरुदेव
वैशाख सुद छठ्ठ ने रविवारना रोज पुन: सोनगढ पधार्या छे...आ प्रसंगे हजारो भक्तजनोए हैयाना
उमळकाथी गुरुदेवनुं हार्दिक स्वागत कर्युं हतुं, तेमां आ ‘आत्मधर्म’ पण पोतानो सूर पुरावे छे.
सोनगढ–जिनमंदिरमां वेदीप्रतिष्ठा करीने तरत कारतक पूर्णिमाए पू. गुरुदेवे मंगलविहार कर्यो... पछी
पालेज जिनमंदिरमां वेदीप्रतिष्ठा करीने गुरुदेव मुंबई पधार्या... ने त्यारबाद एक पछी एक नवा नवा
तीर्थधामोनी उल्लासभरी यात्रा करता करता शाश्वतसिद्धिधाम सम्मेदशिखरजी पधार्या...हजारो भक्तजनो सहित
ए सिद्धिधामनी यात्रा करतां गुरुदेवने खूब आनंद थयो ने अनेक मंगल भावनाओ स्फूरी...गुरु–