Atmadharma magazine - Ank 163
(Year 14 - Vir Nirvana Samvat 2483, A.D. 1957)
(Devanagari transliteration).

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: ४ : आत्मधर्म २४८३ : वैशाख :
देवनी भक्ति अने उल्लास देखीने भक्तोने पण घणो ज हर्ष थयो...आ रीते शाश्वत तीर्थराजनी एक महान्
ऐतिहासिक यात्रा करीने, त्यारबाद खंडगीरी–उदयगीरी वगेरे यात्रा करता करता, अने कलकत्ता, दिल्ही, जयपुर
वगेरे प्रधान जैन नगरोमां थता थता, पू. गुरुदेव वैशाख सुद छठ्ठे शांतिधाम सोनगढ पधार्या छे... ने छ–छ
महिनाथी सूनी लागती आ सुवर्णपुरी फरीने झाकझमाळ बनीने शोभी रही छे.
पू. गुरुदेवनो आ यात्राप्रवास महामंगलकारी थयो...अनेक पवित्र तीर्थो, हजारो जिनमंदिरो, हजारो वर्ष
पुराणा अने विशाळ जिनप्रतिमाओ, तथा पुराणी गुफाओ वगेरेनां दर्शन थया...आजे पण पू. गुरुदेव ज्यारे
ज्यारे ते सर्वनुं भावपूर्वक स्मरण करे छे त्यारे त्यारे भक्तोनां हैयां फरीने भक्तिथी रोमांचित थई जाय छे.
गुरुदेव ज्यां ज्यां पधार्या त्यां त्यां हजारो लाखो जिज्ञासुओए गुरुदेवना दर्शननो अने वाणीनो लाभ लीधो
छे...ने घणो प्रेम बतावीने गुरुदेवनुं स्वागत कर्युं छे.
आवा महामंगल कार्य करीने पू. गुरुदेव ज्यारे सोनगढ पधार्या त्यारे भक्तोए घणा उल्लासपूर्वक भव्य
स्वागत कर्युं हतुं. सौराष्ट्रना गामे गामथी भक्तजनो आ स्वागतमां भाग लेवा आव्या हता... सोनगढना
आगेवान माणसोए पण तेमां भाग लीधो हतो...आ प्रसंगे ठेकाणे ठेकाणे दरवाजाओ, मंडप, कमानो, रंगोळी,
धजा–वावटा ने तोरणो वगेरेथी सुवर्णपुरीने शणगारवामां आवी हती. चांदीनो दरवाजो तेमज हारनो दरवाजो
वगेरेथी स्वाध्यायमंदिर शोभतुं हतुं. गुरुदेव पधारतां आखी नगरीनी शोभा पलटी गई हती, ने चारे कोर
प्रसन्नतानुं वातावरण छवाई गयुं हतुं.
पू. गुरुदेव पधारतां ज भक्तजनोए हैयाना उमळकाथी वधावीने स्वागत कर्युं... जय जयकारथी ने
बेन्डवाजांना मंगलनादथी सुवर्णपुरीनुं वातावरण गाजी ऊठयुं... दूरथी मानस्तंभना दर्शन थतां गुरुदेव
एकीटसे तेनी सामे नीहाळी रह्या... पछी जिनमंदिरमां आवीने वहाला सीमंधर नाथने भेटतां गुरुदेव थोडी
वार तो स्तब्ध बनीने शांतिथी भगवान सामे नीहाळी ज रह्या ...पछी वंदन करीने भक्तिपूर्वक अर्ध चडाव्यो...
सीमंधर नाथ अने तेमना लघुनंदनना मिलननुं आ द्रश्य हजारो भक्तजनो आश्चर्यथी निहाळी रह्या.
त्यारबाद हजारो भक्तोना हर्षनाद वच्चे गुरुदेवे स्वाध्याय मंदिरमां प्रवेश कर्यो... ने अद्भुत शांतिपूर्वक
मांगळिक संभळावतां, आनंदभाव अने शांतिभावथी भरेला आत्माना परम स्वभावनो महिमा बताव्यो...
आत्माना परम भावनो आवो हृदयस्पर्शी महिमा भक्तो शांतचित्ते स्तब्ध बनीने सांभळता हता. मांगळिक
बाद संघ तरफथी विद्वान भाई श्री हिंमतलाल जे. शाहे भावभीनुं स्वागत प्रवचन कर्युं, एक बालिकाए
स्वागत–गीत गायुं, ने स्वागत निमित्ते आवेल भक्तिभर्या संदेशाओ वांची संभळाववामां आव्या... छेवटे पू.
बेनश्रीबेने अंतरनी ऊर्मि भरेलुं एक स्वागत गीत गवडाव्युं...
आ रीते सोनगढमां पू. गुरुदेवना भव्य स्वागतपूर्वक तीर्थयात्रा–महोत्सव मंगलपूर्वक पूर्ण थयो.
कहान गुरुदेवनो आ तीर्थयात्रा महोत्सव जयवंत वर्तो....
आ यात्रा महोत्सव भव्य जीवोने कल्याणकारी हो...
सर्वे पवित्र तीर्थधामोने फरीफरीने नमस्कार हो...