Atmadharma magazine - Ank 165
(Year 14 - Vir Nirvana Samvat 2483, A.D. 1957)
(Devanagari transliteration).

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: अषाड : २४८३ : आत्मधर्म : ७ :
अनेकान्तमूर्ति भगवान आत्मानी
[२७]


ज्ञानस्वरूप आत्मामां अनंत शक्तिओ छे तेनुं वर्णन चाले छे; तेमां “विलक्षण अनंत स्वभावोथी
भावित एवो एक भाव जेनुं लक्षण छे एवी अनंतधर्मत्व–शक्ति छे.” आत्मा पोते एक भावपणे रहीने जुदा
जुदा लक्षणवाळा अनंतधर्मोने धारण करे छे–एवी तेनी अनंतधर्मत्व शक्ति छे. आत्मामां शक्तिओ केटली? –के
अनंत; ते अनंत शक्तिओथी अभिनंदित (अभिमंडित) आत्मा एक स्वरूप छे, एक ज स्वरूप अनंत धर्मरूप
छे, ए रीते अनंतधर्मत्व नामनी एक शक्ति आत्मामां छे.
एक आत्मामां एक साथे अनंत धर्मो छे, ते दरेक धर्मोनुं लक्षण जुदुं जुदुं छे; पोताना भिन्न भिन्न
कार्यवडे दरेक गुण भिन्न भिन्न लक्षित छे; जेमके जाणवुं ते ज्ञाननुं लक्षण, प्रतीत ते श्रद्धानुं लक्षण, आह्लादनो
अनुभव थवो ते आनंदनुं लक्षण, अनाकुळता ते सुखनुं लक्षण, अखंडित प्रतापवाळी स्वतंत्रताथी
शोभायमानपणुं ते प्रभुत्वनुं लक्षण, त्रिकाळ होवापणुं ते अस्तित्वनुं लक्षण, जणावुं ते प्रमेयत्वनुं लक्षण–एम
दरेक शक्तिना जुदा जुदा लक्षण छे; ए रीते अनंती शक्तिओ विलक्षण स्वभाववाळी छे, छतां आत्मा ते अनंत
शक्तिओथी खंडित नथी थई जतो, आत्मा तो अनंत शक्तिओथी अभेद एवा एक भावस्वरूप छे. गुणो
एकबीजाथी जुदा होवा छतां वस्तुथी कोई गुण जुदो नथी; भिन्न भिन्न अनंतधर्मो होवा छतां एक भावस्वरूपे
रहेवानी आत्मानी शक्ति छे, तेनुं नाम अनंतधर्मत्व शक्ति छे.
आत्मानी अनंत शक्तिओमां एक शक्तिनुं जे लक्षण छे ते बीजी शक्तिनुं नथी, ए रीते अनंती
शक्तिओ विलक्षण स्वभाववाळी छे; परंतु तेमां विकार लक्षणवाळी एकेय शक्ति नथी. आत्मानी बधी
शक्तिओ परथी तो जुदी छे ने विकारथी पण खरेखर जुदी छे.
जुओ, आ भेदज्ञाननी अपूर्व वात छे. दरेक आत्मा अनंता परद्रव्योथी तो जुदो छे ने पोताना अनंत
धर्मोमां व्यापेलो छे. आत्माना अनंत गुणो वस्तु तरीके एक छे, पण गुण तरीके दरेकना लक्षण जुदा जुदा छे.
अनंत धर्मो परस्पर विलक्षण होवा छतां एक भावस्वरूप छे, एटले ज्ञानलक्षणवडे अभेद