आत्मधर्मनुं लवाजम वधे छे
आत्मधर्म मासिकनुं वार्षिक लवाजम जे आज सुधी रूा. त्रण लेवामां आवतुं हतुं, ते
मोंघवारी आदि कारणोने अंगे आवता वरसथी रूा. ४–०–० (चार) लेवानुं नक्की
करवामां आवेल छे.
सौ ग्राहक बन्धुओ सहकार आपीने पोतानुं लवाजम समयसार मोकली आपशे
एवी आशा राखीए छीए.
जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट–सोनगढ
आत्मधर्मना ग्राहकोने
आत्म–धर्मसंबंधी जे कंई फरियाद करवानी होय ते एक मास सुधीमां ज करवी.
आत्म–धर्म अंगेनो पत्र–व्यवहार करती वखते, ग्राहकोए पोतानो ग्राहक नंबरअवश्य प्रगट करवो.
आपणुं आत्मधर्म मासिक दरेक अंग्रेजी महिनानी आखर तारीखे पोस्ट करवामां आवतुं हतुं. एटले ते
गुजराती महिनानी वद अमास लगभगमां आपने मळतुं हतुं श्रावण मासनो आ अंक ए रीते आपना तरफ
रवाना करवामां आवेल छे.
हवे भाद्रपद मासनो अंक आपना तरफ भाद्रपद वदि पांचमना रवाना करवामां आवशे, अने त्यारबाद
आसो मासनो अंक आसो सु. १० ना रवाना करवामां आवशे अने त्यारबाद नवा वरसमां आपने आत्मधर्म
वेलासर मळे ते माटे दरेक गुजराती मासना पहेला अठवाडीयामां अंक रवाना करवामां आवशे.
श्री जैन स्वाध्याय मंदिर ट्रस्ट
सोनगढ (सौराष्ट्र)
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परमात्मानी घोषणा
भगवाने समवसरणमां एवी दिव्य घोषणा करी छे के अहो जीवो! तमारा
आत्मामां परमात्मशक्ति भरी छे, ते शक्तिनो विश्वास करो. जे जीवो पोतानी
परमात्मशक्तिनो विश्वास करे छे तेने बहिरात्मपणुं छूटीने ते अंतरात्मा थाय छे, ने पछी
ते पोतानी चैतन्यशक्तिमां लीन थईने तेमांथी परमात्मदशा प्रगट करे छे.
आ रीते सर्वज्ञ परमात्माए परमात्मा थवानो मार्ग बताव्यो छे.
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पहेलां जेओ बहिरात्मा हता तेओ ज पोतानी आत्मशक्तिना
अवलंबने अंतरात्मा थईने परमात्मा थया.
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वार्षिक लवाजम रूपिया चारःःः छूटक नकल पांच आना