‘आत्मधर्म’ ना ग्राहक बनो
बधा ग्राहकोनुं चालु वर्षनुं लवाजम आ अंक साथे पूरुं थाय छे. नवा वर्षनुं घणा
ग्राहकोनुं लवाजम बाकी छे, तो ते तुरत मोकली देवा विनंती छे. आपना गामना मुमुक्षु मंडळमां
पण लवाजम भरी शकाय छे.
“आत्मधर्म”मां आत्मानी ४७ शक्ति उपरना प्रवचनोनी लेखमाळा छेल्ला चार–पांच
वर्षोथी चाले छे, ते लेखमाळाना छेल्ला महत्वना लेखो आवता वर्षमां प्रसिद्ध करीने ए
लेखमाळा पूरी करवामां आवशे. आ लेखमाळामां छेल्लो कर्ता–कर्म–करण वगेरे छकारकसूचक
शक्तिओ उपरना प्रवचनो तो बहु ज महत्त्वना छे, ने दरेक जिज्ञासुओए ते पठन करवा योग्य
छे, आत्मानी ४७ शक्तिनी आ लेखमाळा जिज्ञासु वांचकोमां प्रिय छे, ने अत्यारे अनेक
जिज्ञासुओ तेना पाछला अंकोनी मागणी करे छे, पण केटलाक अंको अप्राप्य थई गया होवाथी
तेमने निराश थवुं पडे छे, माटे आगामी वर्षमां प्रगट थनार आ लेखमाळाना छेल्ला महत्वना
लेखो नियमित मेळववा “आत्मधर्म”ना ग्राहक थई जवुं जरूरी छे.
वार्षिक लवाजम रूा. त्रण हतुं तेने बदले हवे रूा. चार करवामां आव्युं छे.
–जैन स्वाध्याय मंदिर सोनगढ (सौराष्ट्र)
हवे मोक्षमां जवाना. टाणां आव्या छे
“अहो, आवो पवित्र जैनधर्म! आवो अपूर्व मोक्षमार्ग! पूर्वे कदी नहि आराधेलो आवो
मोक्षमार्ग!–तेने साधीने हवे मोक्षमां जवाना टाणां आव्या छे.....तो तेमां प्रमाद के अनुत्साह केम
होय? ” –आम अनेक प्रकारे मोक्षमार्गनो महिमा प्रसिद्ध करीने समकिती पोताना आत्माने तेम
ज बीजाना आत्माने मोक्षमार्गमां स्थिर करे छे, एनुं नाम स्थितिकरण छे.
धर्मात्मा पोताना आत्माने मोक्षमार्गथी च्यूत थवा देता नथी, तेम बीजा साधर्मीने
कदाचित मोक्षमार्ग प्रत्ये निरूत्साही थईने डगतो देखे, तो तेने उपर मुजब उपदेशादिवडे
मोक्षमार्ग प्रत्ये उल्लासित करीने द्रढपणे मार्गमां स्थिर करे छे.–आवो स्थितिकरणनो भाव
धर्मीने सहेजे आवी जाय छे.
“तुं स्थाप निजने मोक्षपंथे, दया, अनुभव तेहने;
तेमां ज नित्य विहार कर, नहि विहर परद्रव्यो विषे.
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आत्मधर्मना ग्राहकोने
आ अंकनी साथे आत्मधर्मनुं १४ मुं वर्ष पूरुं थाय छे, ने सर्वे ग्राहकोनुं चालु वर्षनुं
लवाजम पण पूरुं थाय छे. आगामी अंकथी ‘आत्मधर्म’ मासिकनुं १५ मुं वर्ष शरू थशे; तो
नवा वर्षनुं लवाजम रूा. ४–०० (चार रूपीया) वहेलासर मोकली देवा विनंति छे. कारतक सुद
पूर्णिमा सुधीमां आपनुं लवाजम न आवे तो आपने वी. पी. रूा. ४–६५ नुं करवामां आवशे, ते
स्वीकारी लेवा विनंति छे. वी. पी. थी पण आत्मधर्म मंगाववानी आपनी ईच्छा न होय तो
अगाउथी जणाववा विनंति छे.
लवाजम मोकलवानुं सरनामुं–
श्री जैन स्वाध्याय मंदिर सोनगढ (सौराष्ट्र) SONGAD
वार्षिक लवाजम रूपिया चार : : : छूटक नकल पांच आना