
स्वभावमांथी; ते स्वभाव केवो छे? के शुद्ध अनंतशक्ति संपन्न छे, ते स्वभावमां विकार नथी; माटे विकार प्रगटवानी
वात न लेवी पण निर्मळपर्याय प्रगटवानी ज वात लेवी. आत्मामां सिद्धपर्यायनो अत्यारे अभाव छे माटे कदी
सिद्धपर्याय प्रगटशे ज नहि–एम नथी, केमके आत्मानी अभाव–भावशक्ति एवी छे के भविष्यनी जे निर्मळपर्यायनो
अत्यारे अभाव छे ते पछी भावरूप थाय छे. आवी निज शुद्धशक्तिनी प्रतीत होवाथी साधकने एम संदेह नथी ऊठतो
के भविष्यमां मारा स्वभावमांथी अशुद्धता प्रगट थशे;–पण तेने तो स्वभावना भरोसे निःसंदेहता छे के मारा
स्वभावमांथी शुद्धपर्यायनो ज प्रवाह सादि–अनंतकाळ सुधी वहेशे. भविष्यमां मारा आत्मामांथी विकारनो ‘भाव’
नहि थाय, तेनो तो ‘अभाव’ थशे, ने केवळज्ञान तथा सिद्धपदनो ‘भाव’ थशे.
दशाने पोतामांथी प्रगट करे.
तथा शरीरादि जडनो तो आत्मामां अभाव ज छे, तेथी तेनो पण कर्ता थतो नथी.
निर्मळ पर्यायो ज ‘भाव’ रूप थईने प्रगटे छे. आवुं ‘अभाव–भाव’ शक्तिनुं सम्यक् परिणमन छे. आवुं सम्यक्
परिणमन कोने थाय? के जेने शुद्ध द्रव्य उपर द्रष्टि छे तेने ज शुद्ध परिणमन थाय छे.
* पहेला समयना विकारनो बीजा समये अभाव छे,
* पहेला समयनी निर्मळ पर्यायनो पण बीजा समये अभाव छे,
ते त्रणे अभावरूप छे, ते कोई बीजा समये भावरूप थता नथी, तो बीजा समयनो शुद्धभाव क्यांथी आव्यो?
द्रव्यने लक्षमां लईने तेनी सन्मुख परिणमे तेने ज अभाव–भावशक्तिवाळा आत्माने जाण्यो अने मान्यो छे. वर्तमान
पर्यायमां एवी ताकात नथी के ते बीजी पर्यायने प्रगटावे, एटले पर्यायद्रष्टिथी ‘अभाव–भाव’ शक्तिवाळा आत्मानी
प्रतीत थई शकती नथी, जेने शुद्ध द्रव्य उपर द्रष्टि नथी तेने आत्मानी शक्तिओनुं निर्मळ परिणमन थतुं नथी.
तेने निजशक्तिनी प्रतीत नथी. धर्मीने निज शक्तिनी प्रतीत छे, ते पोतानी पर्याय परमांथी आववानुं मानता नथी,
एटले पोतानी निर्मळ पर्याय प्रगटाववा माटे ते परनी सामे के विकारनी सामे जोता नथी, पर्यायबुद्धि करता नथी, पण
शुद्ध द्रव्यनी सन्मुख एकाग्र थईने तेमांथी निर्मळ पर्याय प्रगट करे छे. निर्मळ पर्यायनी ताकात ज्यां भरी होय तेमांथी
आवे के बहारमांथी? ज्यां शुद्ध ज्ञान–आनंदनी ताकात भरी छे तेनी सन्मुख थतां तेमांथी ज्ञान–आनंदनी शुद्ध पर्याय
प्रगटे छे. स्वशक्तिनी सन्मुख थया विना बहारथी प्रगट करवा मांगे तो अनंतकाळे पण ते प्रगटे नहि.
जे शुभाशुभ परिणाम छे ते बीजी क्षणे प्रगट करुं–एम तेने आस्रवनी ज भावना छे; आत्मानी शुद्धशक्तिनी भावना
तेने नथी.