Atmadharma magazine - Ank 169
(Year 15 - Vir Nirvana Samvat 2484, A.D. 1958)
(Devanagari transliteration).

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कारतकः २४८४ः१७ः
(मोक्षअधिकार
उपरना प्रवचनोमांथीः
वीर सं. २४८३
श्रावण सुद ११थी शरू.)
जिज्ञासुओने समजवामां सुगमता पडे ते माटे आ विषय
प्रश्नोत्तररूपे रजू करवामां आव्यो छे.
(गतांकथी चालु)
(शरूआतमां आचार्य भगवाने एम समजाव्युं के, आत्मा अने बंधने सर्वथा जुदा करवा ते मोक्ष छे;
अने प्रज्ञारूपी छीणी वडे एटले के भेदज्ञान वडे तेमने जुदा कराय छे. प्रथम तो आत्मा अने बंध ए बंनेना
भिन्न भिन्न लक्षणो ओळखवा अने पछी तेमनी सूक्ष्म संधिनी वचमां प्रज्ञा–छीणीने उग्र पुरुषार्थवडे
पटकवी. ए रीते प्रज्ञाछीणीवडे आत्माने अने बंधने भिन्न करीने आत्माने तो ग्रहण करवो एटले के तेमां
एकाग्र थवुं, ने बंधने तो छोडवो; – आ मोक्षनो उपाय छे. तेनुं स्पष्टीकरण चाले छे.)
(६४) प्रश्नः– प्रज्ञाछीणी वडे आत्मा अने बंधनुं भेदज्ञान करतां शुं थाय?
उत्तरः– प्रज्ञाछीणी वडे भेदज्ञान करतां ज आत्मामां मोक्षना संदेशा आवी जाय, आत्मामां सिद्धभगवान जेवा
परम आनंदनो नमूनो आवी जाय.
(६प) प्रश्नः– जेओ मोक्ष पाम्या तेओ कई रीते पाम्या छे?
उत्तरः– जेओ मोक्ष पाम्या तेओ प्रज्ञाछीणीवडे आत्मा अने बंधनुं भेदज्ञान करीने मोक्ष पाम्या छे.–
भेदविज्ञानतः सिद्धाः सिद्धा ये किल केचन।
(६६) प्रश्नः– आत्माने पकडवा माटे शुं जोईए?
उत्तरः– आत्माने पकडवा माटे पहेलां तेनी रीत जाणवानी धीरज जोईए. पहेलां अंतरमां धीरजथी आत्माना
लक्षणने ओळखे तो आत्मा पकडाय.
(६७) प्रश्नः– आत्मानुं लक्षण शुं छे?
उत्तरः– आत्मानुं स्वलक्षण चैतन्य छे.
(६८) प्रश्नः– ते चैतन्यलक्षण केवुं छे?
उत्तरः– चैतन्यलक्षण अन्य द्रव्योथी असाधारण छे.
(६९) प्रश्नः– असाधारण एटले शुं?
उत्तरः– असाधारण एटले बीजामां न होय तेवुं. आत्मानुं चैतन्य लक्षण आत्मामां ज छे ने आत्मा सिवाय
बीजामां नथी, तेथी ते असाधारण लक्षण छे.
(७०) प्रश्नः– ते चैतन्यलक्षण वडे शुं लक्षित करवुं?
उत्तरः– ते चैतन्यलक्षण जे जे गुणोमां ने पर्यायोमां रहेलुं छे ते सर्वे गुणो–पर्यायो आत्मा छे–एम लक्षित करवुं.
(७१) प्रश्नः– आत्मानुं हित करवा माटे कोने अग्र (मुख्य) करवुं?
उत्तरः– चैतन्यलक्षणने अग्र करवाथी आत्मा पकडाय छे ने आत्मानुं हित थाय छे; पण राग लक्षणने अग्र
करवाथी तेना वडे आत्मा लक्षमां नथी आवतो, माटे तेमां आत्मानुं हित नथी.