Atmadharma magazine - Ank 169
(Year 15 - Vir Nirvana Samvat 2484, A.D. 1958)
(Devanagari transliteration).

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आत्मधर्म
वर्ष पंदरमुं संपादक कारतक
अंक पहेलो रामजी माणेकचंद दोशी २४८४
पावापुरी
सिद्धालयवासी हे वीर प्रभो!
आप तो आजे आ पावापुरी धामथी परममंगल एवा मोक्षपदने पाम्या..
अनादिकाळना संसारनो अंत लावीने आपश्री अभूतपूर्व सिद्धपद