छे! पोताने जरीक शुभ राग वर्ते छे तेनोय बचाव नथी करता...स्पष्ट कहे छे के अरे! अमने पण जे राग छे ते कलंक
छे. अमे मोक्षार्थी छीए..आटलो राग पण अरे! अमारा मोक्षने अटकावनार होवाथी कलंक छे. बचाव कोने माटे?
अमे तो अमारा मोक्षने ज इच्छीए छीए, रागने नथी इच्छता.
बापु! रागनी होंस करीश नहि. ‘होंसीडा, होंस मत कीजे’–हे मोक्षना होंसीडा! तुं रागनी होंस करीश नहि.
विकल्प ऊठे छे, पण ते विकल्पमां अमारी होंस नथी; जो तेमां अमारी होंस कल्पो तो मोक्षमार्गमां वर्तती अमारी
शुद्धपर्यायने तमे अन्याय आपो छो, माटे आ रागनी वृत्तिने अमारी होंस तरीके न स्वीकारशो.–ए तो कलंक छे!
अहा! साक्षात् तीर्थंकरभगवान जेटली जेमना कथननी प्रमाणता..अने जेमना सूत्रनो आधार मोटा मोटा आचार्यो
पण आदरपूर्वक आपे..एवा भगवान कुंदकुंदाचार्यदेव आ कहे छेः “मार्गनी प्रभावना अर्थे अमे आ कहीए छीए, पण
विकल्पमां अमारो उत्साह नथी, उत्साह तो स्वरूपमां ज छे. अमारा आत्मामां वीतराग परिणतिनी उत्कृष्टता थाय ते
ज खरेखर मार्गनी प्र–भावना छे. विकल्प छे ते व्यवहार छे, ते विकल्पमां अमारो उत्साह नथी, व्यवहारमां अमारो
उत्साह नथी.
वीतराग भगवाननुं विधान तो वीतरागी अनुभूति करवानुं ज छे. रागादि उदयभावनी भरतीरूप जे भवसागर, तेने
पूर्णानंदनी प्राप्तिरूप जे मोक्ष, तेना मार्गमां अग्रेसर–नेता कोण छे?–के वीतरागभाव; वच्चे राग आवे ने मोक्षमार्गमां
अग्रेसर नथी–मुख्य नथी, गौण छे; गौण छे एटले व्यवहार छे, ने व्यवहार तो अभूतार्थ होवाथी हेय छे. मोक्षमार्गमां
वीतरागता ज अग्रेसर छे एटले के मुख्य छे, ने ते ज निश्चय मोक्षमार्ग होवाथी उपादेय छे. वीतरागभाव ज
मोक्षमार्गनो नेता–एटले के मोक्षमार्गे लई जनार छे, राग ते मोक्षमार्गे लई जनार नथी.
जयवंत वर्तो आ साक्षात् वीतरागता..के जे मोक्षमार्गनो सार छे..ने जे समस्त शास्त्रनुं तात्पर्य छे. भगवान
वीतरागमार्गना प्रकाशक संतो जगतमां जयवंत वर्तो!
वीतरागमार्गनी श्रद्धा पण थती नथी. वीतरागभावनी भावनावाळाने, साक्षात् वीतरागता न थाय त्यां सुधी, वीतरागी पुरुषो