Atmadharma magazine - Ank 172
(Year 15 - Vir Nirvana Samvat 2484, A.D. 1958)
(Devanagari transliteration).

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विधविध समाचार
पू. गुरुदेवनो मंगळ विहार
लींबडी शहेरमां पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव निमित्ते पू. गुरुदेव श्री
कानजीस्वामीनो सौराष्ट्रमां मंगल विहार थशे. सौराष्ट्रना अनेक शहेरोनी जेम लींबडी
शहेरमां पण भव्य दिगंबर जिनमंदिरनुं निर्माण थयुं छे, ने तेमां जिनेन्द्र भगवाननी
प्रतिष्ठा माटेनो पंचकल्याणक महोत्सव ऊजववानुं नक्की थयुं छे. प्रतिष्ठानुं मुहूर्त
वैशाख सुद तेरसनुं छे. आ निमित्ते पू. गुरुदेवना मंगल विहारनो कार्यक्रम हाल नीचे
मुजब विचारवामां आव्यो छे, आ विहार डोळी मारफत थवानो छेः
पू. गुरुदेव फागण सुद त्रीज ने शुक्रवारे सोनगढथी मंगल प्रस्थान करशे;
लीमडा, ढसा, लाठी, मोटा आंकडिया, वडीआ, जेतलसर जंकशन, उपलेटा, कुतियाणा
तथा राणावाव थईने, लगभग फागण सुद तेरसे पोरबंदर पहोंचशे; त्यां आठेक
दिवस रोकाई, वच्चेना गामो थईने राजकोट फागण वद १२ ना रोज पहोंचशे. चैत्र
सुद १२ वांकानेर पधारशे; त्यांथी मोरबी पधारशे; त्यारबाद, ध्रांगध्रा, गुजरवदी,
जोरावरनगर वगेरे गामो थईने, वैशाख सुद एकम(पहेली)ना रोज सुरेन्द्रनगर,
वैशाख सुद चोथे वढवाण शहेर, ने वैशाख सुद आठमे लींबडी शहेर पधारशे. त्यां
पंचकल्याणक प्रतिष्ठा महोत्सव उजवाशे;
त्यारबाद चूडा, राणपुर, बोटाद, वींछीया
ने गढडा थईने उमराळा जेठ सुद त्रीजे पधारशे; ने त्यारबाद सोनगढ पधरामणी
थशे. (वांकानेर–चैत्र सुद तेरस, सुरेन्द्रनगर–वैशाख सुद त्रीज, वढवाण–शहेर–
वैशाख सुद सातम, उमराळा–जेठ सुद चोथ,–आ बधा गामोनी जिनमंदिर प्रतिष्ठानी
वर्षगांठ प्रसंगे पू. गुरुदेव ते ज गाममां बिराजमान हशे. महावीर जन्मकल्याणक
महोत्सव वांकानेरमां ऊजवाशे. गुरुदेवनो ६९मो ज जन्मोत्सव सुरेन्द्रनगरमां
उजवाशे.
तीर्थयात्रा महोत्सवना मंगल दिवसो
गई सालना पोष सुद पूर्णिमाए मुंबईथी तीर्थयात्रा निमित्ते संघ सहित पू.
गुरुदेवे प्रस्थान कर्युं हतुं ने त्यार बाद अनेक तीर्थधामोनी उल्लासभरी यात्रा करी
हती. ए तीर्थयात्राना मंगल दिवसो फरीने आवतां, जे दिवसे जे तीर्थधामनी यात्रा
थयेली तेनुं स्मरण करीने, ते दिवसे जे तीर्थधामनी समूहपूजा सोनगढ जिनमंदिरमां
करवामां आवे छे, ने कोई कोई वार पू. गुरुदेव प्रवचनमां पण सिद्धवरकूट वगेरे
तीर्थधामोना स्मरणो कहे छे,–आम, ए आनंदकारी तीर्थयात्रानुं फरी फरीने स्मरण
थाय छे. विशेषमां, ए तीर्थयात्राना भव्य प्रसंगनी फिल्म पण उतारवामां आवेली छे,
तेनुं पण सोनगढमां प्रदर्शन थतां ए भव्य तीर्थयात्राना द्रश्यो फरीने जाणे नजर
समक्ष ज बनी रह्या होय–एवुं लागे छे..अथवा तो, गुरुदेवनी अने भक्तजनोनी
महान भक्तिथी अत्यंत प्रसन्न थईने बधाय तीर्थधामो सुवर्णपुरे पधार्या होय!–एम
लागे छे. सोनगढना आंगणे ज बधाय तीर्थधामोनां दर्शन करतां भक्तोने बहु आनंद
थाय छे (आखी फिल्म लगभग ६४०० फीट लांबी छे.)
हवे, दक्षिणना बाकी रहेला तीर्थंधामो (श्री गोमटेश्वर बाहुबलि. रत्नप्रतिमा,
कुंदनगीरी वगेरे) नी यात्रा आवती साल (मुंबईना जिनमंदिरनी प्रतिष्ठा प्रसंगनी
साथे) करवानी सौनी भावना छे.
वार्षिक लवाजम रूपिया चारः छूटक नकल पांच आना