शक्तिनी आ वात नथी, परंतु पोताना
सम्यग्दर्शनादि कर्मरूपे (कार्यरूपे) पोते
परिणमे एवी आत्मानी कर्मशक्ति छे;
ते शक्तिनुं आ वर्णन छे. पू. गुरुदेवनुं
आ प्रवचन मुमुक्षुजीवोने खास
मननीय छे.
व्याकरणमां छ कारको अने एक संबंध एम सात विभक्ति आवे छे, ते साते विभक्तिओने अहीं सात
विभक्त करे. स्वमां एकत्व ने परथी विभक्त एवो आत्मानो स्वभाव छे. कर्ता–कर्म–करण वगेरे छ कारक अने एक
संबंध ए साते विभक्ति आत्माने परथी विभक्त–जुदो बतावे छे. छेल्ली संबंधशक्ति कहेशे ते संबंधशक्ति पण कांई
आत्मानो पर साथे संबंध नथी बतावती, पण पोतामां ज स्व–स्वामी संबंध बतावीने पर साथेनो